संदिप कुमार गर्ग
नोएडा। सेक्टर—63 नोएडा पुलिस ने फर्जी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एलगो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर के नाम पर ठगी करने वाले महिला समेत पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह रोबोटेक प्रो आईटी एलएलपी और इंट्रावीजर टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नाम से साफ्टवेयर का फर्जी का प्रचार करके सोशल मीडिया प्लेटफोर्म से शेयर ट्रेडिंग करने वाले लोगों को अपने जाल में फंसाते थे। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 33 लैपटॉप, 23 की पैड मोबाइल, 10 एन्ड्रोइड मोबाइल फोन व अन्य सामान बरामद किया है। यह कॉल सेंटर खोलकर लोगों से धोखाधड़ी कर रहे थे।
एडीसीपी हृदेश कठेरिया ने बताया कि तेलंगाना निवासी कामिनी वेनू ने सेक्टर-63 कोतवाली पुलिस से खुद के साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत की थी। इंस्टाग्राम पर उन्होंने कंपनी का विज्ञापन देखा। जिसमें आर्टीफिसीयल इंटेलिजेंस ट्रेडिंग साफ्टवेयर के बारे में बताया गया। प्रलोभन में आकर 35,000 का पैकेज लिया और उनसे तीन बार में 10 लाख रुपये ठग लिए। उनसे दावा किया गया कि कंपनी में उनका पैसा नहीं डूबेगा। पहली बार में दो, तीन और तीसरी बार में उन्होंने पांच लाख का पैकेज लिया, लेकिन हर बार उनका पैसा डूब गया। धोखाधड़ी का शिकार होने का शक होने पर उन्होंने पुलिस से शिकायत की।
एडीसीपी हृदेश कठेरिया ने बताया कि शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने सेक्टर—63 में चल रहे फर्जी कॉल सेंटर से झांसी निवासी अमर सिंह बौद्ध, झारखंड निवासी पुरुषोत्तम, छपरा बिहार निवासी प्रमोद और दीपक और दिल्ली के सीलमपुर निवासी एकता को गिरफ्तार किया है। इन कंपनी के डायरेक्टर रोबिन चंदेल, शिवम अग्रवाल, रुपाली अग्रवाल, कंपनी की एचआर प्रेरणा मोर्या, सेल्स मैनेजर शालिनी अभी फरार है।
यह गिरोह शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले लोगों को टारगेट करता था। उन्हें ये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एलगो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर के जरिए पैसा लगाने का झांसा देते थे। जो शेयर बाजार के विभिन्न टेक्निकल फाइनेंशियल डेटा को एनालाइज करके शेयर चुनता है और फिर उस पर शेयर ट्रेडिंग करता है। इनके द्वारा बनाये गये एलगो सॉफ्टवेयर द्वारा ग्राहकों को मार्केट एनालेसिस करके अधिक से अधिक मुनाफा कमाकर देने का दावा किया जाता था।
जिसका प्रचार दोनों कंपनियों के नाम पर करते थे। सॉफ्टवेयर के नाम पर यह फेसबुक और इंस्टाग्राम प्रचार करते और लोग इनके झांसे में आ जाते थे, उनसे वह 14 हजार से एक लाख 20 हजार रुपये तक वसूला करते थे। साथ ही सॉफ्टवेयर के सर्विस चार्ज के रूप में 11 हजार 999 प्रति माह, 18 प्रतिशत जीएसटी कुल करीब 14000 रुपए प्रति माह के रूप में ले लिया जाता था।
यह गिरोह बड़े ही शातिर तरीके से ठगी का पूरा खेल खेलता था। साफ्टवेयर को लॉगिन करने के लिए ग्राहकों को लिंक भेजकर उसका आईडी और पासवर्ड डालवाया जाता था। कंपनी से जुड़ने के बाद शेयर इंडैक्स या लॉट बता दिया जाता था। जो ग्राहक इन लोगों द्वारा भेजे गये सॉफ्टवेयर पर भर देता था। उसे कितनी संख्या में खरीदना है ये भी भर देता था। जिसके बाद सॉफ्टवेयर ग्राहक द्वारा भरे गये डेटा के अनुसार ट्रेडिंग करता था। इसमें कही भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग नहीं होता था। इसके बाद जब ग्राहक को ज्यादा नुकसान हो जाता था ओर वह कंपनी से अपने पैसे वापस मांगता था। पैसे देने से मना कर दिया जाता था। सॉफ्टेवयर के नाम पर उनसे ठगी की जाती थी।