संदिप कुमार गर्ग
नोएडा। आईएमएस लॉ कॉलेज में प्रभावी शोध योगदान हेतु स्कोपस और वेब ऑफ साइंस की रणनीतियां पर व्याख्यान का आयोजन हुआ। इस सत्र का उद्देश्य संकाय सदस्यों और छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाले शोध कार्यों के लिए प्रोत्साहित करना और प्रभावी शोध प्रकाशन की रणनीतियों को समझाना था। कार्यक्रम के दौरान बतौर वक्ता आईएमएस के महानिदेशक प्रोफेसर (डॉ.) विकास धवन, डीन डॉ. नीलम सक्सेना एवं सिम्बायोसिस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. नितीश उपाध्याय ने अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए प्रोफेसर (डॉ.) विकास धवन ने कहा कि उच्च गुणवत्ता वाले शोध कार्य के लिए अनुसंधान की गहराई और नवीनता अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक प्रभावी शोध न केवल ज्ञानवर्धन करता है, बल्कि समाज और उद्योग के लिए भी उपयोगी सिद्ध होता है। अतः हर शोधकर्ता को गुणवत्ता, नवीनता और नैतिकता को प्राथमिकता देते हुए अपने शोध कार्य को विश्व स्तर तक पहुँचाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने संकाय सदस्यों और छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त शोध पत्रिकाओं में प्रकाशन के महत्व के बारे में बताया। वहीं संस्थान की डीन डॉ. नीलम सक्सेना ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शोध कार्य के लिए सही जर्नल का चयन अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने शोध प्रकाशन प्रक्रिया को विस्तार से समझाते हुए बताया कि शोधकर्ताओं को अपनी विषयवस्तु के अनुरूप उच्च प्रभाव फैक्टर वाली पत्रिकाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. नितीश उपाध्याय ने स्कोपस और वेब ऑफ साइंस जैसे प्रमुख शोध डेटाबेस की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने शोध पत्रों की स्वीकृति दर बढ़ाने, प्रभावी शोध लेखन, जर्नल चयन, उद्धरण (साइटेशन) बढ़ाने और उच्च प्रभाव फैक्टर वाली पत्रिकाओं में प्रकाशन की रणनीतियों पर चर्चा की। डॉ. उपाध्याय ने उद्धरण प्रभाव बढ़ाने की रणनीतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि शोध पत्रों को अच्छी समीक्षा, उचित संदर्भ और प्रभावी निष्कर्षों के साथ प्रस्तुत किया जाना चाहिए, जिससे उन्हें अधिक उद्धरण प्राप्त हो सकें। उन्होंने यह भी बताया कि वैश्विक स्तर पर शोध योगदान बढ़ाने के लिए शोधकर्ताओं को अंतरराष्ट्रीय सहयोग, नवीन तकनीकों का उपयोग और शोध डेटा की सटीकता पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
व्याख्यान के दौरान आईएसएस लॉ कॉलेज की विभागाध्यक्ष डॉ. अंजुम हसन ने स्कोपस एवं वेब ऑफ साइंस जैसी प्रतिष्ठित शोध डेटाबेस में सूचीबद्ध पत्रिकाओं में प्रकाशन की प्रक्रिया, पीयर-रिव्यू सिस्टम, और प्रकाशन में नैतिकता के महत्व पर भी जोर दिया। वहीं कार्यक्रम के संयोजक डॉ. गोविंद प्रसाद गोयल ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान शोधकर्ताओं को अपने कार्यों की दृश्यता और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए ओपन एक्सेस जर्नल्स और शोध नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म का प्रभावी उपयोग करने की सलाह दी गयी।