जानिए, यूपी के ग्रेटर नोएडा स्थित मनोकामना पूरी करने वाले शिवलिंग का इतिहास

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संध्या समय न्यूज संवाददाता


हम बताने जा रहे ऐसे इतिहास के बारे में जिसे शिवलिंग को रावण के पिता ऋषि विश्रवा ने ही स्थापित किया था रावण के जन्म के लिए इसी मंदिर में शिवलिंग की स्थापना कर पूजा अर्चना की थी और रावण और इस शिव मंदिर का जुड़ा है रावण से इतिहास हम आपको एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जिसका उल्लेख शिवपुराण में भी मिलता है ग्रेटर नोएडा स्थित बिसरख गांव में भगवान शिव का यह मंदिर बेहद लोकप्रिय है। आइए जाते इसका विशेषताओं और महत्व को आपको विस्तार।

जाने, ग्रेटर नोएडा द्वारा इस शिव मंदिर तक कैसे पहुंचने का रास्ता
बता दे कि बिसरख गांव पहुंचने के लिए ग्रेटर नोएडा से यहां आसानी पहुंचा जा सकता है। आपको बता दें, किसान चौक से बिसरख गांव की दूरी महज़ पांच किलो मीटर है. यहां कार या ऑटो से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

शिव मंदिर का जुड़ा है रावण से इतिहास
बता दे कि इस मंदिर का इतिहास लंकापति रावण से जुड़ा है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसी मान्यता है कि बिसरख गांव में इस शिवलिंग को रावण के पिता ऋषि विश्रवा ने ही स्थापित किया था। यही नहीं, ऋषि विश्रवा ने रावण के जन्म के लिए इसी मंदिर में शिवलिंग की स्थापना कर पूजा अर्चना की थी. जिसके बाद ही रावण का जन्म हुआ था। इसके बाद कई सालों तक रावण ने भी यहां तपस्या की थी।

चमत्‍कारी है यह प्राचीन शिवलिंग
बता दे कि इस शिवलिंग के बारे में बताया जाता है जिसे छूने मात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। यह कोई सामान्‍य शिवलिंग नहीं है बल्कि अष्‍ट धातुओं से बना अष्‍टकोणीय शिवलिंग है और इसके दर्शन के लिए देश के कोने कोने से लोग आते हैं। भोलेनाथ के अनन्‍य भक्‍त रहे लंका नरेश रावण ने भी यहीं आराधना कर महाकाल को प्रसन्‍न कर लिया था और वरदान प्राप्‍त कर सोने की लंका का अधिपति बन गया था। कहा जाता है कि इस सिद्ध शिवलिंग की महत्ता और ख्‍याति इतनी है कि यहां भारत के पूर्व प्रधानमंत्री तक अपनी कामना पूर्ति के लिए दर्शन करने आते रहे हैं।

यहां शिवलिंग की पूजा से ही रावण को मिला था अभेद्य वरदान
बिसरख को रावण का गांव कहा जाता रहा है क्योंकि मंदिर के पुजारी रामदास बताते हैं कि यहीं पर रावण का जन्‍म हुआ था। रावण के पिता विश्‍वश्रवा भी यहीं पैदा हुए थे, अपने पिता को देखकर ही रावण यहां अष्‍टकोणीय शिवलिंग की आराधना करता था। बचपन में कठोर तप कर रुद्र भगवान को मनाकर उसने अभेद वरदान हासिल कर लिया था और युवावस्‍था से पहले ही वह कुबेर से सोने की लंका लेने के लिए निकल गया था। लेकिन इस मंदिर में रावण की मूर्ति अब तक नहीं है। इस मंदिर में सभी देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित है, अब रावण की मूर्ति इस मंदिर में वहां के महंत रामदास के द्वारा स्थापित की जाएगी। यह जानकारी ईटीवी भारत से बातचीत में उनके द्वारा बताई गई। उन्होंने बताया कि मूर्ति के लिए पत्थर उपलब्ध न हो पाने के चलते रावण की मूर्ति लगाने में विलंब हुआ।

दशानन की मूर्ति को लेकर महंत ने दी जानकारी
मंदिर के महंत रामदास ने बताया कि पिछले वर्ष दशहरे के दिन मूर्ति की स्थापना किए जाने की तैयारी की गई थी, पर जिन पत्थरों से दशानन की मूर्ति बनेगी वह पत्थर उपलब्ध न हो पाने के कारण मूर्ति स्थापना का कार्य रोक दिया गया, पर अब पत्थर मिल जाने के चलते परशुराम जयंती के दिन 4 फीट मूर्ति दशानन की राम सीता लक्ष्मण की मूर्ति के पास स्थापित की जाएगी. उन्होंने बताया कि इस 4 फुट की मूर्ति के अतिरिक्त एक मूर्ति 7 फीट की रावण की बनवाई जा रही है, जिसकी स्थापना आगामी दशहरे के दिन भव्य भंडारे के साथ किया जाएगा।

मंदिर में दशानन का दहन नहीं होता है पूजन
दशहरे के दिन हर तरफ जहां रावण दहन किया जाता है, वही इस बिसरख गांव और मंदिर में रावण की पूजा की जायेगी। जिस दिन लोगों द्वारा रावण के पुतले का दहन करेंगे, उस दिन हम इस मंदिर में रावण की मूर्ति की स्थापना करेंगे। ग्रेटर नोएडा के बिसरख के ऐतिहासिक शिवलिंग अष्टकोणीय है यहां के जानकार बताते हैं कि इस शिवलिंग का कोई छोर नहीं है। इसके छोर को पता करने के लिए काफी खुदाई की गई थी, लेकिन छोर नहीं मिल पाया तो खुदाई बंद कर दी गई थी। लोगों का कहना है कि यमुना नदी पहले यहां से होकर गुजरती थी, बाद में नदी ने रास्ता बदल लिया।

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