संदिप कुमार गर्ग
नोएडा। सेक्टर-33ए स्थित नोएडा हाट में आयोजित सरस आजीविका मेला-2025 इस बार खासी लेकप्रियता अर्जित कर रहा है। जिसके मद्देनजर मेले में दिनोंदिन खरीदारों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। रविवार को जहां एक ओर मेले का 10वां दिन रहा, वहीं दूसरी ओर मेले के दूसरे होलीडे पर लोगों ने खसकर महिलाओं एवं युवतियों ने मेले में जमकर खरीदारी की।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) के समर्थन से आयोजित इस मेले में ग्रामीण भारत की शिल्प कलाओं का मुख्य रूप से प्रदर्शन किया जा रहा है। मेले में रविवार को जमकर खरीदारी हुई। यहां उत्तर प्रदेश की बनारसी साड़ी, गुजरात का भारत गुंथन और पैचवर्क, झारखंड की तसर सिल्क और कॉटन साड़ी की जमकर खरीदारी हुई । वहीं इंडिया फूडकोर्ट, सांस्कृतिक आयोजन और बच्चों के मनोरंजक आइटम आकर्षण का केंद्र बने हैं। नोएडा में पांचवीं बार परंपरा, कला एवं संस्कृति का मनोरम माहौल और लखपति स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) दीदियों की निर्यात क्षमता के विकास की थीम के साथ सरस आजीविका मेला 2025 का शुभारंभ 21 फरवरी 2025, शुक्रवार से हुआ। यह मेला 10 मार्च 2025 तक नोएडा के सेक्टर-&&ए स्थित नोएडा हाट में आयोजित किया जा रहा है। 21 फरवरी से 10 मार्च 2025 तक चलने वाले इस उत्सव में नोएडा हाट में 400 से अधिक महिला शिल्प कलाकार शामिल हैं, जो परंपरागत हस्तकला, ग्रामीण संस्कृति और स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं। इसके साथ ही मेले में 85 से अधिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
सरस आजीविका मेले में इंडिया फूड कोर्ट एक प्रमुख आकर्षण है। इसमें देशभर के 20 राज्यों की 80 उद्यमी महिलाओंं ने अपने-अपने प्रदेश के प्रसिद्ध क्षेत्रीय व्यंजनों के स्टॉल लगाए हैं। इन स्टॉल्स पर हर प्रदेश के व्यंजनों का अनोखा स्वाद लोगों को आनंदित कर रहा है। इसके अलावा, देशभर से 400 से अधिक लखपति दीदियां इस मेले की खास मेहमान बनी हुई हैं।
सरस आजीविका मेला 2025 में हथकरघा, साड़ी और ड्रेस मटेरियल से जुड़े कुछ उत्कृष्ट प्रदर्शन शामिल हैं। इनमें आंध्र प्रदेश की कलमकारी, असम का मेखला चादर, बिहार की कॉटन और सिल्क साड़ी, छत्तीसगढ़ की कोसा साड़ी, गुजरात का भारत गुंथन और पैचवर्क, झारखंड की तसर सिल्क और कॉटन साड़ी, मध्य प्रदेश के चंदेरी और बाग प्रिंट, मेघालय के इरी उत्पाद, ओडिशा की तसर और बांधा साड़ी, तमिलनाडु की कांचीपुरम साड़ी, तेलंगाना की पोचमपुरी साड़ी, उत्तराखंड की पश्मीना, कथा, बाटिक प्रिंट, तांत और बालुचरी तथा पश्चिम बंगाल के विभिन्न उत्पाद शामिल हैं।
सरस आजीविका मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी लोगों ने भरपूर आनंद उठाया। दूसरे रविवार को यहां इंडियन प्लेबैक सिंगर निखिता गांधी के गानों ने समा बांध दिया। उनके … नाच मेरी रानी, डू-सू-लव मी तथा बरवादियां जैसे फेमस गीतों पर दर्शक झूम उठे।वहीं हमारा शिक्षालय फाउंडेशन के कलाकारों ने ट्रैफिक रूल्स पर शानदार प्रस्तुति दी। इसके साथ ही नटराजंजलि डांस एकेडमी के कलाकारों ने भी सेमी क्लासिकल डांस की मनमोहक प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया।
मेलें में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाने के साथ ही अन्य सुविधाओं पर भी पूरा फोकस किया गया है। यहां दीदियों के हस्तनिर्मित उत्पादों की बेहतर सेल के लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) के द्वारा सत्र कार्यशालाओं का आयोजन भी समय-समय पर किया जा रहा है। इसके लिए एनआईआरडीपीआर सहायक निदेशक चिरंजीलाल कटारिया, शोध अधिकारी सुधीर कुमार सिंह एवं सुरेश प्रसाद के सहित पूरी टीम सक्रियता से जुटी है।
Discover more from संध्या समय न्यूज
Subscribe to get the latest posts sent to your email.