ऋषि तिवारी
उपराज्यपाल ने आगे कहा कि यह किला, जो सदियों तक गाद और अव्यवस्थित संरचनाओं के नीचे दबा हुआ था, अब पूरी तरह से पुनर्जीवित हो चुका है. इसके अवशेषों से 13वीं-14वीं शताब्दी के वास्तुशिल्प का पता चलता है, जबकि लोक कथाओं के अनुसार यह किला पृथ्वीराज चौहान के महल का हिस्सा था. किले के पास स्थित कुआँ भी उसी युग का बताया जाता है। इसके अलावा, 12वीं शताब्दी के क़िला राय पिथौरा और तोमर वंश के अन्य अवशेष इस क्षेत्र में देखने को मिलते हैं, जो दिल्ली के गौरवमयी अतीत की कहानी बयां करते हैं।
एलजी सक्सेना ने ये भी बताया कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की प्रयासों से इस ऐतिहासिक धरोहर को फिर से जीवित किया गया है, जिससे न केवल ऐतिहासिक महत्व की संरचनाओं का संरक्षण हुआ है, बल्कि पर्यावरण की भी बेहतर देखभाल की गई है। यह स्थान अब दिल्लीवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल बन चुका है। उपराज्यपाल ने कहा कि इस पुनर्निर्मित धरोहर को सहेजने और संरक्षण की जिम्मेदारी हम सभी दिल्लीवासियों की है। विशेषकर युवाओं से अपील है कि वे यहाँ आएं, इस अद्भुत धरोहर को देखें और अपने गौरवशाली इतिहास से परिचित हों।