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भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के सहयोग से GITAM में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

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संध्या समय न्यूज संवाददाता


GITAM (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), बेंगलुरु ने आज ‘अंतरिक्ष में कार्बनिक पदार्थों की उत्पत्ति और विकास’ विषय पर दूसरी संगोष्ठी का आयोजन किया। यह उच्चस्तरीय वैज्ञानिक मंच यह समझने पर केंद्रित है कि जीवन के पूर्ववर्ती माने जाने वाले जटिल जैविक अणु बाह्य अंतरिक्ष में कैसे बनते और विकसित होते हैं। इस आयोजन का संयुक्त रूप से आयोजन GITAM और भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (IIST) ने किया। इसमें भारत और विदेशों से आए 70 से अधिक शोधकर्ताओं ने भाग लिया, जिनका उद्देश्य एस्ट्रोकैमिस्ट्री, ग्रह विज्ञान और स्पेस बायोलॉजी में मिशन-आधारित अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देना था।

प्रतिभागियों में भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे इसरो, टीआईएफआर, पीआरएल, आईयूसीएए, आईआईए, आईआईटी और आईआईएसईआर के प्रमुख वैज्ञानिकों के साथ-साथ आईआरएपी (फ्रांस), पेरुगिया विश्वविद्यालय (इटली), इंटरस्टेलर कैटेलिसिस सेंटर (डेनमार्क) और मास्ट्रिच विश्वविद्यालय (नीदरलैंड) के अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ शामिल थे। इस आयोजन में ग्रहों की जैविक संरचनाओं, अंतरतारकीय वातावरण में उत्प्रेरण प्रक्रियाओं, अंतरिक्ष में सूक्ष्मजीव विज्ञान और भावी अंतरिक्ष अभियानों पर इनके प्रभाव पर गहन चर्चाएं हुईं।

उद्घाटन सत्र में GITAM यूनिवर्सिटी के प्रो-वाइस चांसलर प्रो. के.एन.एस. आचार्य ने कहा, “आज का दिन GITAM, बेंगलुरु के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और मैं इस संगोष्ठी के आयोजन में GITAM का साझेदार बनने के लिए OiS का आभार व्यक्त करता हूं, जिसने इतने महत्वपूर्ण गणमान्यजनों को एक साझा मंच पर एकत्र किया है। यह संगोष्ठी बहुविषयक वैज्ञानिक अनुसंधान की दिशा में समन्वय और उन्हें संबोधित करने के लिए रणनीतिक साझेदारी की आवश्यकता को दर्शाती है। GITAM में हमारा लक्ष्य वैश्विक साझेदारियों को विकसित करना और एस्ट्रोकैमिस्ट्री व स्पेस बायोलॉजी जैसे उभरते क्षेत्रों में क्षमताओं को बढ़ाना है। इस मंच पर हुई चर्चाएं वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की बढ़ती भूमिका को रेखांकित करती हैं और हम दृढ़ता से मानते हैं कि अंतरिक्ष विज्ञान में प्रतिभा और अनुसंधान को बढ़ावा देना भावी अंतरिक्ष मिशनों में भारत की भूमिका तय करने में निर्णायक साबित होगा।”

डॉ. रेगी फिलिप, प्रिंसिपल, GITAM स्कूल ऑफ साइंस ने कहा, “यह कार्यक्रम ग्रह विज्ञान, एस्ट्रोकैमिस्ट्री और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में अग्रणी विशेषज्ञों का संगम है। यह एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण का प्रतीक है — ‘ऑर्गेनिक्स इन स्पेस’ इनिशिएटिव, जिसका उद्देश्य ब्रह्मांड के सबसे गहन रहस्यों को उजागर करना है। GITAM में हम इस तरह की पहलों के प्रति गहराई से प्रतिबद्ध हैं।”

वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिकों, जिनमें पूर्व इसरो अध्यक्ष श्री ए.एस. किरण कुमार, डॉ. एस. सोमनाथ और रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रो. तरुण सौरदीप शामिल रहे, ने जैविक रसायन, बायोसिग्नेचर और पृथ्वी के बाहर जीवन का समर्थन करने वाली परिस्थितियों की जांच के लिए बनाए गए पेलोड्स के महत्व पर तकनीकी चर्चाओं में सक्रिय भागीदारी की।

डॉ. एस. सोमनाथ — पूर्व अध्यक्ष, इसरो; पूर्व सचिव, अंतरिक्ष विभाग ने कहा, “जैसे-जैसे भारत उन्नत अंतरिक्ष अन्वेषण की ओर अग्रसर हो रहा है, एस्ट्रोकैमिस्ट्री और स्पेस बायोलॉजी जैसी आधारभूत विज्ञान शाखाओं की भूमिका और भी महत्वपूर्ण होती जा रही है। इस प्रकार के मंच आवश्यक शैक्षणिक और संस्थागत साझेदारियों को सक्षम बनाते हैं, जो खोज और नवाचार को तेज़ कर सकते हैं।मुझे अंतरिक्ष में कार्बनिक पदार्थों के विचार को मजबूत होते देखकर वास्तव में खुशी हो रही है और इस संगोष्ठी जैसे मंच प्रतिनिधियों को इस पर चर्चा करने के लिए एक साथ लाने में महत्वपूर्ण हैं। लोगों के लिए वैकल्पिक रसायन विज्ञान और जीवन बनाने के तरीकों के बारे में बात करना भी बहुत रोमांचक है। यह जीवन को समझने का शुरुआती चरण है और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के लिए समुदायों में इसे विकसित करने के लिए इस बुनियादी ढांचे की तलाश, समझ और निर्माण करने के लिए एक साथ आने की संभावना है।”

इस आयोजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए श्री ए.एस. किरण कुमार — पूर्व अध्यक्ष, इसरो; पूर्व सचिव, अंतरिक्ष विभाग ने कहा, “इस तरह के आयोजन जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और निर्जीव तत्वों से जीवन सृजन की मानव कल्पना को साकार करने की दिशा में बेहद अहम हैं। आज जब भारत अंतरिक्ष तकनीक में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और कुछ वर्षों में मानव को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रहा है, तो हमें ब्रह्मांड को समझने के तरीके में बदलाव लाना होगा। इस संगोष्ठी जैसी पहलें ऐसा सहयोगी तंत्र तैयार करने में अहम भूमिका निभाती हैं जो शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान संगठनों और अंतरिक्ष एजेंसियों को एकजुट करता है। हमें खुशी है कि हम इस ज्ञानवर्धक आयोजन का हिस्सा हैं और इसरो ऐसे मिशन-उन्मुख वैज्ञानिक प्रयासों का पूरा समर्थन करता है, जो अंततः महत्वपूर्ण उद्देश्यों में योगदान देंगे और पृथ्वी के बाहर जीवन की संभावनाओं का मूल्यांकन करने में मदद करेंगे।”

इस संगोष्ठी का उद्घाटन अनुसंधान नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन (ANRF) के सीईओ डॉ. शिवकुमार कल्याणरमन ने किया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि अनुसंधान का उद्देश्य केवल वैज्ञानिक ज्ञान को आगे बढ़ाना नहीं, बल्कि भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण लक्ष्यों के अनुरूप होना भी आवश्यक है। बदलते वैज्ञानिक परिदृश्य पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, “भारत की वैज्ञानिक प्रणाली विकसित हो रही है, और हमें लगता है कि डीप स्पेस रिसर्च और जीवन विज्ञान को एक साथ आना चाहिए ताकि अन्वेषण और सततता की चुनौतियों का समाधान किया जा सके। इस संगोष्ठी जैसे आयोजन रणनीतिक रूप से ऐसे प्लेटफॉर्म हैं जो राष्ट्रीय अनुसंधान प्राथमिकताओं को परिभाषित करने में मदद करते हैं। अनुसंधान नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन में हमारा फोकस ऐसे मिशन-आधारित, बहु-विषयक सहयोगों को समर्थन देने पर है, ताकि भारत की वैश्विक नेतृत्व भूमिका को अंतरिक्ष विज्ञान और नवाचार में आगे बढ़ाया जा सके।”

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