संदिप कुमार गर्ग
नोएडा। आज कार्तिक शुक्ल षष्ठी को यमुना, हिंडन, गोल्फसिटी सेक्टर-75 स्थित छठघाट सहित नोएडा के लगभग दो सौ छठघाटों पर लाखों छठव्रतियों और भगवान सूर्य के भक्तों ने अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य प्रदान किया। दिन में छठव्रतियों ने गेहूं, घी और शक्कर का ठेकुआ, चावल, घी और शक्कर का लड्डू प्रसाद के लिए बनाया।बांस के बने सूप, डाला, दौरा,टोकरी में सभी प्रकार का प्रसाद रखा गया।प्रसाद के रूप में सेब, केला, नारंगी, अमरूद, डाभ,नाशपाती, नींबू सहित सभी प्रकार का फल,ईख, पानी में फलनेवाला सिंघाड़ा, मूली, सुथनी,अदरख, हल्दी, कच्चा नारियल, चीनी का बना साँचा, घर में बना ठेकुआ, लड्डू, कच्चा धागे का बना बद्धी, सिंदूर, अगरबत्ती आदि रखा गया।सायं काल में सूर्यास्त से पूर्व छठव्रती और उनके परिवार के सदस्य सिर पर प्रसाद सहित सूप, डाला, दौरा,टोकरी लेकर घर से निकलकर छठघाट पर पहुंचे।कई छठव्रती घर से घाटों तक कष्टी देते पहुंचे।यमुना,हिंडन सहित विभिन्न सेक्टरों व गावों में बने तालाब, कृत्रिम तालाब,तरणताल आदि छठघाट के रूप में प्रयोग में लाया गया।सूर्यास्त से पूर्व हाथ में प्रसाद रखा हुआ सूप, डाला, दौरा,टोकरी लेकर छठव्रतियों ने छठघाट में प्रवेश किया और भगवान सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया।उनके साथ परिवार के सदस्यों व सभी श्रद्धालुओं ने भगवान भास्कर को जल द्वारा अर्घ्य प्रदान किया।
नोएडा के सेक्टर-75 सहित विभिन्न सेक्टरों के छठघाटों पर छठव्रतियों व उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए अखिल भारत हिन्दू महासभा और अखिल भारतीय प्रवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुन्ना कुमार शर्मा ने सभी को भगवान सूर्य और आरोग्य की देवी छठी मईया की उपासना के महान लोकपर्व छठ की शुभकामनाएं दीं।उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि छठपूजा करने से छठव्रतियों और उनके परिवार के सदस्यों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।बिहार, पूर्वी उत्तरप्रदेश, झारखंड,बिहार से सटे हुए पश्चिम बंगाल के कई जिलों,हिंदुस्तान और दुनिया के सभी शहरों में छठ पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।नेपाल,मॉरिशस, फिजी, सूरीनाम, वेस्टइंडीज,ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा आदि देशों में छठपर्व हर्षोल्लास और पारम्परिक तरीके से मनाया जाता है।यह भगवान सूर्य की उपासना और भक्ति का महान लोकपर्व है।दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद,गुरुग्राम, फरीदाबाद सहित एनसीआर के शहरों में लाखों श्रद्धालु इस महान पर्व को धूमधाम से मनाते हैं।उन्होंने बताया कि हमलोग डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर घर के बुजुर्गों को सम्मान देने का संदेश समाज को देते हैं।नदी, तालाब, जल में प्रवेश कर भगवान सूर्य की पूजा कर प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं।यह पर्व परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ इकट्ठा कर सामाजिक एकता का संदेश देता है।हिन्दू, मुस्लिम सहित सभी जातियों के लोग इस महान पर्व को मनाते हैं।यह पर्व साम्प्रदायिक व सामाजिक एकता व भाईचारे का महापर्व है।