Wednesday, October 1, 2025
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पश्चिम दिल्ली में कोर्ट के आदेश के बावजूद एमसीडी—बिल्डर की सांठगांठ से बन रहे अवैध घर

संध्या समय न्यूज संवाददाता


नई दिल्ली। दिल्ली की आवासीय कॉलोनियों में अवैध निर्माण एक बार फिर चर्चा का विषय बनता रहा है जो कि सुप्रीम कोर्ट के 2016 के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद राजधानी के कई इलाकों में बिल्डर और एमसीडी अधिकारियों की मिलीभगत से घर बन रहे है जिसे ‘बच्चा फ्लोर’ कहा जाता है। जिससे पार्किग में रहने वाले आपस में पार्किग के लिए भीड़ रहे है क्योंकि सभी को बिल्डर ने पार्किग दिया है लेकिन पार्किग में छोटा सा घर बना दे रहै जिससे पुरी गाड़ी पार्किग नहीं हो पाती है।

जाने, चार मंजिला निर्माण में बिल्डर ऐसे निकालते है पार्किग
बता दे कि कोर्ट के निर्देशों के अनुसार,चार मंजिला निर्माण की अनुमति केवल तभी दी जा सकती है जब ग्राउंड फ्लोर पूरी तरह से पार्किंग के लिए आरक्षित हो। इस पर बिल्डर 4 फ्लोर तो बना लेते है लेकिन 10 में से 5 में पार्किग में छोटा सा घर बना लेते है। जिसे बच्चा प्लोर के नाम से जाना जाता है जो कि आगे चलकर पार्किग सभी को पुरा नहीं हो पाता है। जिससे पार्किग के लिए आपस में भिड़त होते है। जिसमें एमसीडी के बड़े अधिकारियों की मेल जोल से बनते है।

जाने, एमसीडी अधिकारियों के सांठगांठ से बनते है पार्किग में घर
बता दे कि पश्चिम दिल्ली में उत्तम नगर, मोहन गार्डन, बुध बाजार जैसे इलाकों से लेकर कई ऐसे जगह है जहां बिल्डर और एमसीडी की मेल जोड़ से ​2016 के बाद आए दिन पार्किग में घर बन जाते है जो कि एमसीडी अधिकारी भी इस पर सपोर्ट करते है जिससे कागज हेरफेर कर काम करते है नियमों के अनुसार, चार मंजिला इमारतों में ग्राउंड फ्लोर पूरी तरह पार्किंग के लिए आरक्षित होना चाहिए और घरों का निर्माण अपर ग्राउंड फ्लोर से शुरू होना चाहिए। लेकिन, बिल्डर इस नियम का उल्लंघन करते हुए ग्राउंड फ्लोर पर एक छोटा सा घर बना देते हैं, जिसे बोलचाल की भाषा में ‘बच्चा फ्लोर’ कहा जाता है। यह अवैध निर्माण न केवल नियमों का मखौल उड़ाता है, बल्कि लोगों के लिए कई तरह की परेशानियां भी खड़ी करता है।

आम जनता उठा रही है बिल्डर-एमसीडी की मिली भगत पर सवाल
बता दे कि अदालत और विभिन्न नागरिक संगठनों की लगातार फटकार के बावजूद, एमसीडी की कार्यप्रणाली में कोई सुधार नहीं हुआ है। अक्सर यह देखा गया है कि बिल्डर और एमसीडी के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से इस तरह के अवैध निर्माण को अंजाम दिया जाता है। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी कई बार एमसीडी को अवैध निर्माणों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई न करने पर फटकार लगाई है, जो बिल्डरों के साथ उनकी सांठगांठ को दर्शाता है। जुलाई 2024 में, हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए सवाल उठाया था कि जब एमसीडी कागजों में बार-बार अवैध निर्माण को ढहा रही थी, तो फिर भी चार मंजिला इमारत बनकर कैसे तैयार हो गई?

निवासियों को पार्किंग में नहीं रख पाते और उन्हें अपनी गाड़ी रोड़ पर खड़ी करनी पड़ती है
बता दे कि अवैध निर्माण का सबसे बुरा असर आम लोगों पर पड़ता है। पार्किंग की जगह कम होने से गाड़ियां सड़क पर खड़ी करनी पड़ती हैं, जिससे ट्रैफिक जाम और जगह की कमी जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। इसके अलावा, अनियोजित निर्माण और अतिरिक्त भार के कारण इमारत की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े होते हैं, जिससे बड़ा हादसा होने का खतरा बना रहता है।

सरकार से आम जनता की गुहार एमसीडी अधिकारियों पर करें इंकवारी जिससे रोका जा सके अवैध काम
बता दे कि 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पार्किंग की गंभीर समस्या को देखते हुए स्पष्ट निर्देश दिए थे कि किसी भी नए निर्माण में ग्राउंड फ्लोर को पूरी तरह से पार्किंग के लिए रखा जाए। मगर बिल्डर इस नियम को तोड़ते हुए छोटे कमरे और रसोई बनाकर फ्लैट्स बेच रहे हैं — जिससे एक ओर कानून की अवहेलना हो रही है, तो दूसरी ओर शहरी बुनियादी ढांचे पर दबाव बढ़ रहा है। जिससे आम जनता कहना है कि एमसीडी के अधिकारियों पर कार्यवाही हो जिससे वह अवैध कार्यो पर रोक लका के

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