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Shri Shiv Mahapuran story_3 : श्री शिव महापुराण में मौजूद है हर समस्या का समाधान

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ऋषि तिवारी


नोएडा। राष्ट्र की समृद्धि, शांति एवं विकास के लिए नोएडा सेक्टर 110 स्थित राम लीला मैदान, महर्षि नगर में आयोजित श्री शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन परम पूज्य सद्गुरूनाथ जी महाराज जी भक्तों को कथा सुनाते हुए कहा कि कलिकाल में लोग इतनी अधिक समस्याओं से ग्रसित होते जा रहे हैं, जिसे भगवान शिव की भक्ति के द्वारा ही मुक्ति मिल सकती है। इस संसार के शिव ही तारणहार है।मीडिया प्रभारी ए के लाल ने बताया की शिवरात्रि का पावन पर्व जल्द ही आने वाला है सभी लोग पूर्ण निष्ठा से भगवान का अभिषेक एवं पूजा-अर्चना करें और अनेक समस्यायों से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करें। जब जीवन में विपत्ति आती है तो सारी दुनिया साथ छोड़ देती है लेकिन भोलेनाथ अपने भक्तों को कभी अकेला नहीं छोड़ते। मृत्यु शैया पर भी जो व्यक्ति पड़ा हो, उसकी सलामती के लिए अगर महामृत्युंजय का जाप सही विधि से किया जाए तो वह भी ठीक हो सकता है। ऐसे चमत्कारिक देव है महादेव। बस जरूरत है इनके प्रति पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास की।

श्री शिव महापुराण कथाक्रम को आगे बढ़ाते हुए सद्गुरूनाथ जी महाराज ने कहा कि पुराणों में रुद्राक्ष को देवों के देव भगवान शिव का स्वरूप ही माना गया है। पौराणिक कथा के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रु से हुई है। रुद्राक्ष पहनने से इंसान की मानसिक और शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं। जो इसे धारण कर भोलेनाथ की पूजा करता है उसे जीवन के अनंत सुखों की प्राप्ति होती है। सद्गुरूनाथ जी महाराज बेलपत्र के गुणों को बताते हुए कहा कि शिव भगवान को दूध और बेलपत्र दोनों बहुत पसंद है। बेलपत्र को ऊपर की जेब में रखने से दिल में रक्तप्रवाह ठीक बना रहता है।

आगे उन्होंने कहा कि श्री शिव महापुराण में चौबीस हजार श्लोक हैं उनमें से एक श्लोक ही नहीं बल्कि एक शब्द मात्र को भी अपने जीवन मे धारण करने से इस मानव शरीर की शुद्धि होती है। उन्होंने कहा हमें मनुष्य का शरीर तो मिल गया लेकिन हमने इसके महत्व को नहीं समझा तो सब बेकार है। मानव शरीर का महत्व भगवान की भक्ति में है। कथा के दौरान सद्गुरूनाथ जी महाराज ने कहा कि जीवन में जितने दुख आते हैं वह कर्मो से आते हैं। भारत देवभूमि व कर्मभूमि है। यहां पर मनुष्य जैसा कर्म करेगा, उसको उसी के अनुसार फल की प्राप्ति होगी। शुभ सोच का फल पुण्य व गलत कृत्य का फल पाप के रूप में मिलता है। संत वही है जो बुराइयों को सहने के बावजूद भी मानव कल्याण का हित सोचता है। उन्होंने कहा कि राजा दक्ष ने पुत्री के प्रति स्नेह के बजाय द्वेष किया। इसलिए यज्ञ सत्कर्म करने पर भी उन्हें दुख का सामना करना पड़ा। बेटी का अपमान करने पर देवता भी सहायता नहीं करते।

जप करो, तप करो, तीर्थ करो हज़ार। मात-पिता की सेवा बिनु, सब कुछ है बेकार।। यानि कोई चाहे भगवान की कितनी ही भक्ति कर ले, तपस्या करे, तीर्थ यात्रा करे, लेकिन यदि घर मे माता-पिता दुखी हैं, उनका आदर सम्मान नही हो रहा है तो ये सब निष्फल ही रहता है। ऐसी पूजा सेवा को भगवान भी स्वीकार नही करते। सद्गुरूनाथ जी महाराज ने बताया कि बचपन से ही बच्चे में अच्छे गुण विकसित करने चाहिए। बच्चा जितना संस्कारी होगा उसके विचार उतने ही सुंदर और मनमोहक होंगे। जिंदगी में वो जरूर कुछ ऐसा करेगा कि पूरे परिवार का नाम रौशन होगा। हमेशा परिवार में पूजा-अर्चना होनी चाहिए। अगर भगवान ने आपको कुछ दान देने वाला बनाया है तो भगवान का शुक्रिया अदा कीजिए।

अच्छे कामों में दान-दक्षिणा दीजिए। जिससे आपके पितर भी खुश होंगे और आपके घर धनवर्षा होगी। सदा परिवार में खुशियां व्याप्त होंगी। श्री शिव महापुराण कथा के पावन अवसर के दूसरे दिन श्री अजय प्रकाश श्रीवास्तव, अध्यक्ष, महर्षि महेश योगी संस्थान और कुलाधिपति, महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ इन्फार्मेशन टेक्नालोजी, राहुल भारद्वाज, उपाध्यक्ष, महर्षि महेश योगी संस्थान और श्री शिव महापुराण कथा कार्यक्रम के संयोजक रामेन्द्र सचान और गिरीश अग्निहोत्री एवं प्रबंध समिति के सभी सदस्य व महर्षि संस्थान के वरिष्ठ सदस्यों सहित हजारों भक्त उपस्थित थे।

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