संदिप कुमार गर्ग
इस प्रेस वार्ता में डॉ राजेश ओझा, महाराज पीठाधीश्वर, मां गंगा सेवा समिति अध्यक्ष डॉ. रवीश त्यागी, आचार्य मधुर दास जी महाराज (रामायनी जी), हिंदू महासभा के उपाध्यक्ष राजीव कुमार आशीष, महंत रामचरण दास जी, महंत अमर दास जी, महंत विवेक दास जी, महंत महेश जी भी उपस्थित थे। महाकुंभ-2025 की तैयारियों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि गंगा जल अब आचमन करने योग्य नहीं रहा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि गंगा में गौमाता के अवशेष मिलते रहे, तो यह सनातन धर्म के लिए एक बड़ा संकट साबितव होगा।
कम्प्यूटर बाबा ने उत्तर प्रदेश सरकार से तीन प्रमुख मांग रखकर जवाब मांगाब है:
- खून व गौमांस से सने गंगाजल में स्नान करने के लिए सरकार ने महाकुंभ में क्या प्रबन्ध किया है? शंकराचार्य, अखाड़े बताएं कि क्या स्नान से पूण्य नष्ट नहीं होंगे?
- गौतस्करी में लिप्त गाजियाबाद व अन्य स्थान की फैक्ट्रियों और कोल्ड स्टोरेज पर बुलडोजर चलाकर कानूनी कार्रवाई की जाए और दोषियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की जाए।
- उत्तर प्रदेश में गौमाता को ‘राजमाता’ का दर्जा दिया जाए, जैसा कि महाराष्ट्र सरकार नेब पहले किया है।
कम्प्यूटर बाबा ने सभी संतों और महंतों से अपील की कि वे शास्त्रों के अनुसार महाकुंभ में स्नान से पहले ऐसा मार्गदर्शन करें जिससे भक्तों के पुण्य नष्ट न हों। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर 16 दिसंबर 2024 तक उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे गाजियाबाद के साहिबाबाद में गौ धर्म संसद आयोजित करेंगे और अपनी रणनीति तय करेंगे। इस दौरान, अगर संतों के प्राण भी चले जाएं, तो भी वे पीछे नहीं हटेंगे, और इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार होगी। यह मामला उत्तर प्रदेश में गौहत्या के मुद्दे पर साधु-संतों और सरकार के बीच टकराव का संकेत दे रहा है। महाकुंभ जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन की पवित्रता और गौमाता की रक्षा के सवालों पर अब सरकार की अगली कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं।