Thursday, September 25, 2025
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पश्चिम दिल्ली के मोहन गार्डन में स्वच्छता की बदहाली, निवासियों का जीवन दूभर

संध्या समय न्यूज संवाददाता


नई दिल्ली (मोहन गार्डन)। पश्चिम दिल्ली के उत्तम नगर का मोहन गार्डन क्षेत्र लंबे समय से स्वच्छता की समस्या से जूझ रहा है। हाल के दिनों में महिनों से सीवर ओवरफ्लो, जगह-जगह कूड़े के ढेर और गंदगी से स्थानीय निवासियों का जीना मुहाल हो गया है।

बता दे कि दिल्ली सरकार स्वच्छ भारत अभियान के दावों के बावजूद, पश्चिमी दिल्ली के उत्तम नगर स्थित मोहन गार्डन क्षेत्र की स्वच्छता व्यवस्था चरमरा गई है। यहां की सड़कें, गलियां और मुख्य रास्ते लंबे समय से सीवर के पानी और कूड़े से भरे हुए हैं, जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।

जाने, मुख्य समस्याएं:

  • सीवर का ओवरफ्लो: कई इलाकों में महीनों से सीवर जाम होने की वजह से गंदा पानी सड़कों और गलियों में भर गया है। हाल ही में हुए निरीक्षण में भी यह समस्या उजागर हुई। इससे राहगीरों, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
  • कूड़े का अंबार: नियमित रूप से कूड़ा न उठाए जाने के कारण जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। मानसून के समय यह स्थिति और भी बदतर हो जाती है, जिससे बीमारी फैलाने वाले कीड़े-मकोड़े और मच्छर पनपते हैं।
  • दोषपूर्ण जल आपूर्ति: सीवर लाइनें जाम होने से कई बार गंदा पानी पीने के पानी में भी मिल जाता है। इससे निवासियों को दूषित जल पीने को मजबूर होना पड़ता है, जिससे जल जनित बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
  • अधिकारी उदासीन: बता दे कि यहां के निवासियों का आरोप है कि यहा विधायक से लेकर दिल्ली जल बोर्ड अधिकारी, दिल्ली नगर निगम (MCD) के अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को बार-बार शिकायत करने के बावजूद इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। शिकायतों पर कोई कार्रवाई न होने से लोगों में भारी रोष है।
  • स्वास्थ्य पर खतरा: विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की अस्वच्छता कई गंभीर बीमारियों जैसे डेंगू, मलेरिया और टाइफाइड का कारण बन सकती है। यदि स्थिति को जल्द ठीक नहीं किया गया, तो यह क्षेत्र में एक बड़ा स्वास्थ्य संकट खड़ा कर सकता है।
  • जनता की मांग: मोहन गार्डन के निवासियों ने प्रशासन से तुरंत इस समस्या का समाधान करने की मांग की है। उनका कहना है कि इस क्षेत्र को स्वच्छ और स्वस्थ बनाना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। जब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता, तब तक वे ऐसी नारकीय परिस्थितियों में जीने को मजबूर रहेंगे।
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