संदिप कुमार गर्ग
मुख्य कार्डियोथोरेसिक और वस्कुलर सर्जन डॉ. सतीश मैथ्यू ने बताया कि हृय शल्य चिकित्सा की टीम ने मरीज की जान के खतरे को देखते हुए तीन चरणों में सर्जरी करने की योजना तैयार की। प्रथम चरण में दो बाईपास ग्राफ्ट से हृदय की रक्त वाहिनीयों को बाईपास किया गया। दूसरे चरण में महाधमनी से अन्य मुख्य रक्त वाहिनियों को जो मस्तिष्क में और हाथों में रक्त पहुंचाती है को ग्राफ्ट लगाकर बाईपास किया गया।
तीसरे चरण में मरीज को कार्डिएक कैथ लैब में लेकर मुख्य महाधमनी में एक एन्ड्रोग्राफ्ट लगाया गया। जिससे वह फोडे के आकार का एंट्री पाइंट सील कर दिया। इस जटिल ऑपरेशन में लगभग 15 घंटे का समय लगा। वहीं, मरीज को 7 दिन की निगरानी में भी रखा गया। इस मौके पर प्रबंध निदेशक डॉक्टर कार्तिक, निदेशक डॉक्टर पल्लवी शर्मा, समूह चिकित्सा निदेशक डॉक्टर रितु वोहरा, चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर विजय गंजू समेत कई लोग मौजूद रहे।