ऋषि तिवारी
नई दिल्ली। केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कानून और न्याय मंत्रालय, अर्जुन राम मेघवाल ने आज भारतीय उद्योग व्यापार मंडल (बीयूवीएम) को आश्वासन दिया कि सरकार देश में व्यापारियों और उद्यमियों से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। वे यहां भारतीय उद्योग व्यापार मंडल (बीयूवीएम) के 44वें स्थापना दिवस के अवसर पर संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर अन्य गणमान्य व्यक्तियों में माननीय हर्ष मल्होत्रा, केंद्रीय राज्य मंत्री (कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय); विजय बघेल, रमेश अवस्थी और साधना सिंह (सभी सांसद) भी उपस्थित रहे। मेघवाल ने बीयूवीएम को आश्वस्त किया कि वे व्यापार से जुड़ी उनकी चिंताओं के समाधान में उनके साथ खड़े हैं।
“मैं, मल्होत्रा जी और इस कार्यक्रम में उपस्थित सांसदगण आपके पक्ष में पैरवी करेंगे,” मेघवाल ने कहा। सभा को संबोधित करते हुए मल्होत्रा ने कहा कि व्यापारिक समुदाय ने भारत को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने यह भी कहा कि नया अप्रत्यक्ष कर प्रणाली पुरानी व्यवस्था की तुलना में कहीं बेहतर है, लेकिन इसमें और सुधार की संभावनाएं हमेशा बनी रहती हैं। मल्होत्रा ने कहा, “हम आपके मुद्दों को वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तक पहुँचाएंगे।”
इस कार्यक्रम में देश के 28 राज्यों से भारतीय उद्योग व्यापार मंडल (बीयूवीएम) के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। 1981 में स्थापित, भारतीय उद्योग व्यापार मंडल व्यापारियों की आवाज़ को सरकार तक पहुंचाने वाला प्रमुख संगठन रहा है, जो लगातार नीतिगत सुधारों के लिए काम कर रहा है। यह संगठन नीति निर्माताओं, नियामकों और व्यापार जगत के हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से संवाद करता है ताकि व्यापार-अनुकूल वातावरण विकसित किया जा सके।
बीयूवीएम ने व्यापारियों और व्यवसायों को प्रभावित करने वाले कुछ प्रमुख मुद्दों को उठाया है। संगठन ने विभिन्न जीएसटी दर स्लैब्स और अलग-अलग राज्यों में मंडी कर दरों में एकरूपता की कमी जैसी समस्याओं को प्रमुखता से सामने रखा है। संगठन ने ई-कॉमर्स के लिए एक नियामक नियुक्त किए जाने की भी जोरदार मांग की है। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल (बीयूवीएम) के अध्यक्ष बाबू लाल गुप्ता ने कहा कि सरकार ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ पर विशेष ध्यान दे रही है।
“व्यापारियों और खासकर एमएसएमई क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती बहु-स्तरीय जीएसटी दरें रही हैं। यह मुद्दा समाधान की मांग करता है और हमने विभिन्न सरकारी अधिकारियों को पत्र लिखकर जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाते हुए तीन स्लैब – 0%, 5% और 18% – में समाहित करने का सुझाव दिया है। हमें विश्वास है कि यदि इसे स्वीकार किया गया, तो यह देश की जीडीपी वृद्धि को और तेज़ करने का मार्ग प्रशस्त करेगा,” उन्होंने कहा।
उन्होंने आगे कहा कि सभी खाद्य उत्पादों को, उनके वजन और पैकेजिंग से भिन्न किए बिना, शून्य कर स्लैब में रखा जाना चाहिए। अनाज, दालें और तिलहन की सफाई, ग्रेडिंग और छंटाई की मशीनें, एलईडी लैंप, सबमर्सिबल वाटर पंप, हार्डवेयर, स्टेनलेस स्टील, ₹1000 तक के खिलौने, खाद्य तेल, बेकरी उत्पाद, सोलर वॉटर हीटर, घी, अचार, हस्तशिल्प और ₹1000 प्रतिदिन तक के होटल के कमरे 5% स्लैब में रखे जाने चाहिए। बाकी सभी उत्पादों को 18% स्लैब के अंतर्गत लाया जाना चाहिए। इसी तरह, राज्यों में मंडी शुल्क में भारी अंतर है, जो आमतौर पर 0% से 4% तक होता है। इसे भी समान किया जाना आवश्यक है।
अपने संबोधन में राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं प्रभारी, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना प्रांत, सतीश अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकारों द्वारा बांटी जा रही रेवड़ियों पर रोक लगनी चाहिए, क्योंकि यह करदाताओं पर अनावश्यक बोझ डालती हैं। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने TDS और TCS जैसे प्रावधानों को तत्काल हटाने की भी मांग की, क्योंकि यह व्यापारियों पर अनुपालन का अनावश्यक बोझ डालते हैं।