ऋषि तिवारी
यह जानकारी राष्ट्रीय गौधन महासंघ के मुख्य संयोजक विजय खुराना ने आज हौजखास स्थित कार्यालय में पत्रकारों को दी। उन्होंने बताया कि एक समय पर जहां 9.5 लाख टन गोबर सड़क व नालियों में बहता था, जो एक समस्या थी, वहीं अब गोबर पर्यावरण-मित्र लकड़ी में बदलकर करोड़ों पेड़ों को कटने से बचा रहा है। खुराना ने राष्ट्रीय गौधन समिट 2025 की घोषणा की, जो देशभर की गौशालाओं और गोपालकों का अब तक का सबसे बड़ा समागम होगा। इसमें 5 लाख से अधिक लोग भाग लेंगे। 5 नवम्बर को उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और 10 नवम्बर को समापन के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित किया गया है।
समिट में केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया, वरिष्ठ सांसद पुरुषोत्तम रूपाला, विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार, आरएसएस प्रचारक देवी चंद्र चोपड़ा और संत श्रीश्री रविशंकर सहित कई प्रमुख हस्तियां शामिल होंगी।खुराना ने बताया कि अंग्रेजी शासन में शुरू हुई गौहत्या की प्रथा के विरुद्ध 2005 में महासंघ की स्थापना हुई थी, और तब से देश में गौशालाओं की संख्या 9 हजार से बढ़कर 22 हजार हो चुकी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार के पास अभी कोई समर्पित गौरक्षा कानून नहीं है, जबकि राज्यों ने अपने-अपने स्तर पर कानून बनाए हैं।
इस अवसर पर 100 वर्ष की आयु की ओर अग्रसर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक देवी चन्द्र चोपड़ा ने कहा कि भारत की समृद्धि का पैमाना गायों की संख्या होनी चाहिए, लेकिन दुर्भाग्यवश उनकी संख्या घट रही है। उन्होंने सरकार और समाज से स्थिति में तत्काल सुधार की अपील की।
समिट की संयोजक पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल ने कहा, “कृष्ण की गाय और शिव के नंदी को बचाए बिना भारत का कल्याण संभव नहीं है।” उन्होंने गौसेवा को राष्ट्रसेवा के बराबर मानने का आह्वान किया।
मीडिया प्रभारी राम महेश मिश्र ने बताया कि समिट के दौरान देशभर की गौशालाएं अपने स्टॉल लगाकर अपने उत्पादों का प्रदर्शन करेंगी। प्रेस वार्ता में कई गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे, जिनमें पूर्व विधायक मदन लाल, सनातन धर्म महासभा के भूषण लाल पाराशर, भारत विकास परिषद के महेश शर्मा और वैद्य ज्ञानेन्द्र प्रकाश प्रमुख रहे।