ऋषि तिवारी
नई दिल्ली। विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा है कि “गाय अब सिर्फ आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की रीढ़ है। अगर हम गाय की रक्षा नहीं कर सकते, तो अपनी संस्कृति और आत्मसम्मान की रक्षा भी नहीं कर सकेंगे!” उन्होंने दो-टूक शब्दों में कहा, “देश की 22,000 से अधिक गौशालाएं आज आर्थिक स्वावलंबन और पर्यावरण-संरक्षण का जीवंत मॉडल बन चुकी हैं। अब केंद्र सरकार को गौरक्षा के लिए एक समर्पित, सशक्त और सर्वदलीय कानून बनाना ही होगा। यदि पूरे देश में गौरक्षा के लिए एक समान नीति लागू नहीं हुई, तो यह राष्ट्र की सांस्कृतिक नींव को हिला सकता है।”
आलोक कुमार ने आगाह किया कि गौशालाओं को केवल धार्मिक संस्था मानने की भूल अब नहीं चलेगी। “गौधन ही भारत को फिर से विश्वगुरु बना सकता है। अब गौरक्षा सिर्फ नैतिक दायित्व नहीं, यह राष्ट्रीय नीति की प्राथमिकता बननी चाहिए। वह राष्ट्रीय गौधन महासंघ की हौज खास स्थित कार्यालय में हुई बैठक-सह-प्रदर्शनी को संबोधित कर रहे थे।
इस बैठक-सह-प्रदर्शनी में गौधन समिट 2025 का आयोजन पर चर्चा की गई। इस वर्ष 5 से 10 नवम्बर के बीच मेजर ध्यान चंद नेशनल स्टेडियम, नई दिल्ली में इसका आयोजन किया जाएगा। इस भव्य आयोजन में पांच लाख से अधिक प्रतिभागियों के शामिल होंगे। उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और समापन हेतु राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रण भेजा गया है।
राष्ट्रीय गौधन महासंघ के मुख्य संयोजक विजय खुराना ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पहले जहां 9.5 लाख टन गोबर सड़कों और नालियों में बह जाता था, अब वही गोबर पर्यावरण-संवेदनशील लकड़ियों में बदलकर लाखों पेड़ों को कटने से बचा रहा है। उन्होंने कहा कि देशभर में सक्रिय 22,000 से अधिक गौशालाएं जैविक खेती, पंचगव्य औषधियों, गोबर से बनी लकड़ियों और अन्य उत्पादों के माध्यम से 20 लाख से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रही हैं।
समिट की संयोजक और पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल ने भावपूर्ण शब्दों में कहा, कृष्ण की गाय और शिव के नंदी को सुरक्षित रखे बिना भारत का कल्याण संभव नहीं। गौसेवा मात्र धर्म नहीं, राष्ट्रसेवा का महान पथ है। उन्होंने कहा कि समिट के दौरान देशभर की गौशालाएं अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगाकर आत्मनिर्भरता के विभिन्न मॉडल प्रस्तुत करेंगी। बैठक में गौ रक्षा अभियान से जुड़े देश की कई गणमान्य हस्तियां मौजूद रही।