Friday, August 22, 2025
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बढ़ती उम्र में समय से जांच और व्यायाम रखेगा फिट, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना जरूरी

ऋषि तिवारी


ग्रेटर नोएडा। उम्र बढ़ने के साथ बीमारियों का खतरा ज़्यादा हो जाता है लेकिन सही समय पर जांच और इलाज से इन्हें काफ़ी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। जो लोग रोज़ टहलते हैं, संतुलित खाना खाते हैं और लोगों से जुड़े रहते हैं, वे लंबे समय तक स्वस्थ रहते हैं। विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस के अवसर पर फोर्टिस ग्रेटर नोएडा के इंटर्नल मेडिसिन विभाग के निदेशक, डॉ. दिनेश कुमार त्यागी ने कहा कि दवाइयों को लेकर बनी ग़लतफ़हमी से बुज़ुर्गों की सेहत बिगड़ जाती हैं, इसलिए उनसे डरना नहीं बल्कि ज़रूरी इलाज अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बढ़ती उम्र के साथ हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए।

पिछले एक साल में अस्पताल की ओपीडी में बड़ी संख्या में वरिष्ठ नागरिकों का इलाज हुआ है। डॉ. दिनेश ने बताया, “सबसे ज़्यादा मामले ब्लड प्रेशर, सांस की तकलीफ़, पुरानी खाँसी और घुटनों के दर्द के आते हैं। कुछ मरीजों में पार्किंसन और याददाश्त कमज़ोर होने की समस्या भी देखी गई है। हाल के महीनों में शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के मरीज बढ़े हैं। मानसून में अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट और लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट संक्रमण और वायरल बुखार ज़्यादा देखने को मिले हैं। कुछ गंभीर निमोनिया के केस भी आए हैं। डेंगू के मरीज मिले हैं लेकिन इस बार डेंगू और मलेरिया की बड़ी संख्या नहीं दिखी।”

जो बुज़ुर्ग रोज़ टहलते हैं, हल्का व्यायाम करते हैं, संतुलित खाना खाते हैं और लोगों से जुड़े रहते हैं, उन्हें बीमारियाँ कम होती हैं। हमने प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप में पाया कि जो लोग एक्टिव रहते हैं, उनमें बीमारियों का खतरा बहुत कम है। 60 साल से ऊपर हर व्यक्ति को सालाना हेल्थ चेकअप ज़रूर करवाना चाहिए। इससे कई बीमारियों का जल्दी पता चल जाता है और इलाज समय रहते हो पाता है।

वरिष्ठ नागरिक अब आधुनिक इलाज के लिए भी आगे आ रहे हैं। घुटना प्रत्यारोपण और एंजियोप्लास्टी जैसी प्रक्रियाओं की मांग बढ़ रही है। ऐसे इलाज से कई मरीज पूरी तरह ठीक होकर सामान्य जीवन जी रहे हैं। लोग अब एक-दूसरे से सुनकर भी इन प्रक्रियाओं को अपना रहे हैं।

वरिष्ठ नागरिक मरीजों में सबसे बड़ी ग़लतफ़हमी यह है कि शुगर, ब्लड प्रेशर या थायरॉइड की दवा शुरू करने पर यह आदत बन जाती है। इसी वजह से बहुत से बुजुर्ग दवा लेने से बचते हैं और घरेलू नुस्खे अपनाते हैं। लेकिन इससे हालत और बिगड़ जाती है। एक केस का ज़िक्र करते हुए डॉ दिनेश ने बताया, “एक महिला बुखार और मुँह टेढ़ा होने की समस्या लेकर आई थीं। जांच में पता चला कि उन्हें सेप्सिस था। सही इलाज से अब वे ठीक हो रही हैं।”

डॉ. दिनेश ने कहा कि अस्पताल में नियमित हेल्थ कैंप और हेल्थ टॉक आयोजित किए जाते हैं ताकि वरिष्ठ नागरिकों को समय पर जानकारी मिल सके। उन्होंने अपील की कि लोग बीमारी से डरें नहीं, बल्कि जांच और इलाज को अपनाएँ। सही देखभाल और नियमित जांच से बुज़ुर्ग लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

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