संध्या समय न्यूज संवाददाता
नई दिल्ली। दिल्ली में अवैध निर्माण का मुद्दा देखे तो गंभीर बतना जा रहा है क्योंकि नगर निगम (MCD) की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं। आम जनता का कहना है कि दिल्ली एमसीडी अधिकारी और बिल्डर द्वारा अवैध बांध काम को लिगल बनाया जाता है और बनने के बाद वहीं प्लांट को आगे जाकर अवैध करार दे दिया जाता है जिसमें देखा जाए तो एमसीडी—बिल्डर की मि सांठगांठ से यह बनते और तोड़े जाते है। इस न्यूज कि हेडिग बनाए
जाने,अवैध निर्माण की स्थिति
बता दे कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में अवैध निर्माण लगातार एक चुनौती बनाता ही जा रहा है जिसमें विभिन्न इलाकों में नियमों का उल्लंघन करके प्लांट, इमारतें और पार्किग में घर बनकर खड़ी की जा रही हैं। इससे न केवल शहरी नियोजन प्रभावित होता है, बल्कि कई बार सुरक्षा संबंधी जोखिम भी उत्पन्न होते हैं।
जाने, एमसीडी लापरवाही के नतिजा
बता दे कि अदालतों ने भी एमसीडी को अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए है उसके बाद भी देखे तो एमसीडी अधिकारियों की अवैध निर्माण के मामलों में प्रवर्तन कार्रवाई की गति धीमी देखी जा रही है। पिछले दस वर्षों में दर्ज किए गए हजारों मामलों में से आधे से भी कम पर कार्रवाई हो पाई है। जो कि इसके बावजूद देखा जाए तो एमसीडी और बिल्डर की सांठगांठ से कप्जा जारी है और पार्किग में घर बनाए जा रहे है। जिससे देखे तो अभी एमसीडी अधिकारियों की सांठगांठ से चल रहे है।
दिल्ली एमसीडी से आम जनता परेशान, लग रहे बहोत से आरोप
बता दे कि अवैध निर्माण का सीधा असर आम जनता पर पड़ता नजर आ रहा है जिससे पार्किंग के लिए आपस में लड़ाई और रोड़ पर कब्जा बना हुआ है। जिसमें देखे तो दिल्ली में बहोत से जगहों पर एमसीडी कि लापरवाही से रोड़ छोटे है जो कि आने जाने में दिक्कतों का सामना और कई तकलिफों से आम जनता को परेशान होना पड़ता है। जिसमें देखे तो एमसीडी की लापरवाही बताई जा रही है अभी देखे तो एमसीडी अधिकारी आरटीाई का जवाब देने में असमर्थ महसूस करते है क्योंकि उससे बड़े अधिकारियों की जानकारी जनता को प्राप्त हो जाएगी।