ऋषि तिवारी
नई दिल्ली। राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में पूरे देश में चल रहे वर्षभर के स्मरणोत्सव के अंतर्गत दयाल सिंह सांध्य महाविद्यालय में मंगलवार को भव्य वंदे मातरम् गायन उत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में देशभक्ति, राष्ट्रीय चेतना और सांस्कृतिक गौरव का अद्भुत संगम देखने को मिला। समारोह में दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह, डीन ऑफ कॉलेजेज प्रो. बलराम पाणी, रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता, चेयरमैन प्रो.डी.एस.चौहान, महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. भावना पाण्डेय तथा दयाल सिंह महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.वी.के. पालीवाल विशेष रूप से उपस्थित रहे।
अपने संदेश में कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा
बता दें कि अपने संदेश में कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि वंदे मातरम् भारतीय राष्ट्रीय चेतना और सांस्कृतिक स्वाभिमान का अमर प्रतीक है। उन्होंने इसे केवल उत्सव नहीं, बल्कि महान साहित्यकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के योगदान के स्मरण और सम्मान का अवसर बताया। कुलपति ने कहा कि यह गीत स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जनचेतना को नई दिशा देने वाली प्रेरक शक्ति था।
प्राचार्या प्रो. भावना पाण्डेय ने हुए कहा
प्राचार्या प्रो. भावना पाण्डेय ने महाविद्यालय की गौरवपूर्ण परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि वंदे मातरम् में राष्ट्रप्रेम, त्याग और एकता का संदेश निहित है। वहीं चेयरमैन प्रो. डी.एस. चौहान ने राष्ट्रीय गीत की ऐतिहासिक भूमिका और स्वतंत्रता संग्राम में उसके प्रभाव पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं द्वारा सामूहिक स्वर में वंदे मातरम् का सुमधुर गायन किया गया, जिससे पूरा परिसर देशभक्ति के भाव से गूंज उठा। समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।






