मथुरा स्थित विश्वविख्यात बांके बिहारी मंदिर का खजाना 54 साल बाद खोला गया, लेकिन इससे जुड़ी कार्रवाई अब सियासी तूल पकड़ने लगी है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया है।
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54 साल बाद खुला मंदिर का खजाना
हाई पावर कमेटी के निर्देश पर शुक्रवार को बांके बिहारी मंदिर के खजाने का कमरा खोला गया। करीब तीन घंटे तक चली इस प्रक्रिया के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों और मंदिर के सेवादारों की मौजूदगी में कमरे की सील तोड़ी गई। खजाने में कुछ चांदी के बर्तन और धार्मिक पात्र मिले, लेकिन किसी बड़े स्वर्ण आभूषण या मूल्यवान वस्तु की बरामदगी नहीं हुई।
चौंकाने वाली बात यह रही कि खजाने के कमरे से दो छोटे सर्प भी निकले, जिन्हें वन विभाग की टीम ने सुरक्षित रूप से बाहर निकाला।
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अखिलेश यादव का तंज: ‘इतना भी लालच अच्छा नहीं’
इस पूरी कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिख : “भाजपा सरकार से करबद्ध आग्रह… कम-से-कम मंदिरों के ख़ज़ाने तो छोड़ दें… इतना भी लालच अच्छा नहीं। दुर्भाग्यपूर्ण!”उनकी यह टिप्पणी साफ तौर पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाती है और इस कार्रवाई को ‘लालच से प्रेरित’ बताती है।
सेवादारों की नाराजगी भी आई सामने
मंदिर के सेवायत गोस्वामियों ने भी इस कार्रवाई पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि यह खजाना मंदिर की वर्षों पुरानी धार्मिक परंपरा और आस्था का प्रतीक है। इसे इस तरह प्रशासनिक निर्देशों के तहत खोलना श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसा है।
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कुछ सेवादारों ने मौके पर विरोध जताते हुए अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी भी की और मांग की कि धार्मिक स्थलों से जुड़ी इस तरह की कार्रवाई भविष्य में रोकी जाए।
सर्किल ऑफिसर (सीओ) सदर संदीप कुमार ने जानकारी दी कि खजाने की जांच पूरी कर सील फिर से लगा दी गई है। अगली कार्यवाही हाई पावर कमेटी की अगली बैठक के बाद तय की जाएगी, जिसमें यह तय होगा कि खजाने की अन्य परतें कब और कैसे खोली जाएंगी।






