Sunday, July 20, 2025
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वेतन के लिए सहारा मीडिया में फिर से शुरू हुआ आंदोलन

ऋषि तिवारी


नई दिल्ली/ नोएडा। वेतन और बकाया भुगतान को लेकर नोएडा के सेक्टर 11 स्थित ऑफिस में सहारा मीडिया का अनिश्चितकालीन धरना फिर से शुरू हो गया है। आंदोलन पर फ़िलहाल टीवी चैनल के कर्मचारी बैठे हैं। प्रिंट के कर्मचारी आंदोलन से दूरी बनाकर चल रहे हैं। हालांकि इस आंदोलन में काम बाधित नहीं किया जा रहा है। बुलेटिन और विज्ञापन पूर्व की तरह चलते रहने की बात सामने आई है। प्रबंधन और आंदोलनकारी कर्मचारियों की मीटिंग के बावजूद कोई हल न निकल सका। इस बीच सूचना है कि एचआर हेड सचिन मेहरोत्रा के इस्तीफा देने की भी खबर है।

दरअसल 2015 से वेतन को लेकर समय समय पर सहारा मीडिया में आंदोलन होता रहा है। जब 4 मार्च 2014 को सुब्रत राय को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। तब कुछ दिन बाद ही सहारा मीडिया (प्रिंट और टीवी चैनल) के कर्मचारियों को वेतन मिलने में दिक्कत आने लगी थी। जब तीन से चार महीने तक वेतन न मिला तो सहारा मीडिया में आंदोलन शुरू हो गया। 2014-16 तक सहारा मीडिया में तीन आंदोलन हुए। एक की अगुआई बृजपाल चौधरी और चरण सिंह ने की। इस आंदोलन में नोएडा, लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, पटना, देहरादून राष्ट्रीय सहारा की यूनिट ठप्प कर दी गई थी। सभी टीवी चैनल ठप कर दिए गए थे। दूसरे आंदोलन की अगुआई गीता रावत और शशि राय ने की। तो तीसरे की गीता रावत और मोहित श्रीवास्तव ने की। पहला आंदोलन तत्कालीन सीईओ राजेश कुमार ने बिना किसी वेतन के तुड़वा दिया तो दूसरा आंदोलन उपेंद्र राय ने मीडिया हेड बनकर एक महीने के वेतन पर तुड़वा दिया। तीसरा आंदोलन गीता रावत और मोहित श्रीवास्तव की अगुआई में हुआ। इस आंदोलन में सहारा मीडिया यूनियन बनने की कवायद भी शुरू हुई।

गीता रावत अध्यक्ष तो मोहित श्रीवास्तव महासचिव बने पर रमेश अवस्थी ने यूनियन तुड़वा दी और 22 कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा। रमेश अवस्थी आज की तारीख में कानपुर से बीजेपी के सांसद हैं। हालांकि आज की तारीख में गीता रावत और रमा शुक्ला की वापसी हो चुकी है। दोनों को छह – छह लाख रुपए मिलने की बात भी सामने आ रही है। ये दोनों कनॉट प्लेस स्थित राष्ट्रीय सहारा के ब्यूरो कार्यालय में जा रहे हैं। दूसरे कर्मचारियों का मामला भी कोर्ट में विचाराधीन है। लगभग सभी कर्मचारियों की वापसी की उम्मीद लगाई जा रही है।

दरअसल सहारा मीडिया में काम कर रहे कर्मचारियों का बकाया भुगतान भी काफी हो चुका है। वेतन भी टोकन मनी के रूप में मिल रहा है। बीच-बीच में आंदोलन होता है और आश्वासन पर मामला शांत हो जाता है। इस बार टीवी के कर्मचारी अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। देखने की बात यह है कि इसी बीच सुब्रत राय का निधन भी हो चुका है। सहारा इंडिया में निवेशकों और एजेंटों ने अलग से भुगतान को लेकर आंदोलन छेड़ रखा है। सहारा इंडिया में ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा, विश्व भारती जन सेवा संस्थान, रंग दे बसंती और ठगी पीड़ितों की आवाज समेत कई संगठन निवेशकों की लड़ाई लड़ रहे हैं। मामला सड़क से लेकर कोर्ट तक चल रहा है। दिलचस्प बात यह है कि धीरे धीरे सहारा अपनी संपत्ति बेचता जा रहा है पर कमर्चारियों और निवेशकों के भुगतान के लिए इसके पास पैसे नहीं है।

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