Saturday, August 9, 2025
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‘बच्चों के लिए अमृत है मां का दूध, बोतल का दूध शिशु को पहुंचा सकता है नुकसान’

संदिप कुमार गर्ग


ग्रेटर नोएडा। आज मां का दूध किसी भी शिशु के लिए प्रकृति का सबसे अनमोल उपहार है। यह न केवल शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक है बल्कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मां का दूध शिशु में पहली वैक्सीन की तरह काम करता है, जो उन्हें विभिन्न बीमारियों से बचाने के साथ ही विकास में सहायक सिद्ध होता है।

मां का दूध शिशु के लिए संपूर्ण आहार है, जो आसानी से पच जाता है और शिशु को इंफेक्शन, एलर्जी, डायरिया समेत अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बचाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, जन्म के पहले घंटे में और पहले छह महीनों तक केवल मां का दूध देने से नवजात शिशु मृत्यु दर में 20-30% तक की कमी लाई जा सकती है। यह न केवल शिशु के लिए, बल्कि मां के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। इतना ही नहीं यह मां का वजन कम करने और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।

फोर्टिस ग्रेटर नोएडा अस्पताल में पेडियाट्रिक विभाग के कंसल्टेंट डॉक्टर कुशाग्र गुप्ता ने बताया कि आजकल शहरों और गांवों में बोतल से दूध पिलाने का चलन बढ़ रहा है, जो शिशुओं के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है। बोतल फीडिंग से उन्हें संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही गैस, उल्टी और कब्ज जैसी समस्या हो सकती हैं। इतना ही नहीं बोतल का दूध मां के दूध जैसी रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान नहीं करता। इसके अलावा अगर शिशु बोतल का एक बार आदी हो जाए तो मां का दूध छोड़ सकता है। बोतल फीडिंग के बढ़ते चलन से बच्चों में एलर्जी, मोटापा और बार-बार बीमार पड़ने की घटनाएं बढ़ रही हैं। कई बार सुविधा के लिए बोतल का उपयोग किया जाता है लेकिन यह सुविधा बाद में शिशु के स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकती है।

महिलाओं में यह आम भ्रांति होती है कि स्तनपान से शारीरिक सुंदरता पर विपरीत असर पड़ता है लेकिन डॉक्टरों के अनुसार स्तनपान से मां का वजन नियंत्रित रहता है और शारीरिक बनावट बिगड़ती नहीं है बल्कि और बेहतर होती है। इसके विपरीत, मां का दूध न देने से शिशु को कई गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है जैसे कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता, मानसिक विकास में कमी,मां और शिशु के बीच भावनात्मक जुड़ाव में कमी।

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