Thursday, October 9, 2025
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अति आनन्द उमगि अनुरागा, चरण सरोज पखारन लगा ” केवट राम संवाद सुन भावविभोर हुए श्रोता

संदीप कुमार गर्ग


नोएडा। सेक्टर 82 स्थित ईडब्ल्यूएस पॉकेट 12 में आयोजित श्रीराम कथा के छठवें दिन कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी पंचमानंद महाराज ने आगे का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि भगवान राम, माता सीता और सभी भाइयों के विवाह के बाद अवध में आ जाते हैं । महाराज दशरथ गुरु से आज्ञा लेकर राम को युवराज बनाने की घोषणा करते है पूरी अयोध्या में खुशी छा जाती है। सभी देवता यह जानकर परेशान हो जाते हैं कि अगर राम का राज्याभिषेक हो जाएगा तो राक्षसों का वध कैसे होगा।

सरस्वती जी से सभी प्रार्थना करते हैं और सरस्वती जी मंथरा की बुद्धि को पलट देती हैं वह कैकयी को अपने दो वरदान राजा दशरथ से मांगने के लिए कहती है। कैकयी कोपभवन में चली जाती है और दशरथ से दो वरदान मांगती है कि भरत को राज्य और राम को वनवास। दशरथ जी अचेत हो जाते है। रामजी लक्ष्मण और सीता के साथ वन को चले जाते हैं। केवट प्रसंग सुनाते हुए व्यास जी ने बताया कि गंगा किनारे पहुंचने पर केवट से नाव लाने को कहते है।

” मांगी नाव न केवट आना, कहहु तुम्हार मरमु में जाना” केवट कहता है कि मैं तुम्हारा मर्म जनता हूँ। जिनकी चरण रज लगते ही पत्थर की शिला नारी बन गयी अगर मेरी नाव भी नारी बन गयी तो मेरी रोजी रोटी का क्या होगा। बिना पैर धुलवाए आपको नाव में नहीं बैठाउँगा । ” अति आनंद उमगि अनुरागा, चरण सरोज पखारन लागा”। ऐसा कहकर भगवान राम , लक्ष्मण और सीता के पैर धोकर पूरे परिवार सहित उस चरणोदक को पीता है। इसके बाद गंगा के पार उतारता है। इस अवसर पर श्रीराम कथा आयोजन समिति के मीडिया प्रभारी देव मणि शुक्ल ने बताया कि 9 अक्टूबर को राम और भारद्वाज मुनि का संवाद सहित कई प्रसंगों का वर्णन किया जाएगा। इस मौके पर सेक्टर के तमाम लोग मौजूद रहे।

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