दिवाली 2025 (Diwali 2025) भारत के व्यापारिक इतिहास में एक नया मील का पत्थर बनकर उभरी है। अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (CAIT) द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, दिवाली पर कुल ₹6.05 लाख करोड़ की रिकॉर्ड सेल हुई, जिसमें ₹5.40 लाख करोड़ का कारोबार वस्तुओं में और ₹65,000 करोड़ का कारोबार सेवाओं में हुआ। यह आंकड़ा भारत के व्यापारिक इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी त्योहारी बिक्री का प्रतीक है।
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स्वदेशी भावना ने दिखाई अपनी ताकत
रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार 87% उपभोक्ताओं ने विदेशी उत्पादों के मुकाबले भारतीय निर्मित वस्तुओं को प्राथमिकता दी। यह दिवाली (Diwali) वोकल फॉर लोकल’ और ‘स्वदेशी दिवाली’ जैसे अभियानों की सफलता का संकेत है, जिसके कारण चीनी उत्पादों की मांग में भारी गिरावट आई है। यह भी देखा गया कि भारतीय निर्मित उत्पादों की बिक्री में 25% की वृद्धि दर्ज की गई है।
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सर्विस सेक्टर में भी जबरदस्त वृद्धि
सिर्फ उत्पादों की बिक्री ही नहीं, बल्कि सेवाओं का कारोबार भी बंपर रहा है। पैकेजिंग, हॉस्पिटैलिटी, कैब सर्विस, यात्रा, इवेंट मैनेजमेंट, डिलीवरी सेवाएं और अन्य क्षेत्रों में अनुमानित ₹65,000 करोड़ का कारोबार हुआ। इसने त्योहारी अर्थव्यवस्था को और भी मजबूत किया है।
कैसे बदला दिवाली का व्यापार?
प्रवीण खंडेलवाल, जो दिल्ली के चांदनी चौक से सांसद भी हैं, ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने और स्वदेशी अपनाने’ के प्रयासों ने व्यापारिक समुदाय और उपभोक्ताओं को प्रेरित किया। इस दिवाली के व्यापार के आंकड़े ने पिछले साल की ₹4.25 लाख करोड़ की बिक्री के मुकाबले 25% की ग्रोथ दिखाई।
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नॉन-कॉर्पोरेट और पारंपरिक बाजारों का बढ़ा योगदान
इस साल, नॉन-कॉर्पोरेट और पारंपरिक बाजारों ने कुल व्यापार में 85% का योगदान दिया, जो यह दिखाता है कि छोटे और स्थानीय व्यापारियों ने इस बार खासा योगदान दिया है।
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दिवाली 2025 (Diwali 2025) ने न केवल देशवासियों को खुशियों से सराबोर किया, बल्कि भारत की आर्थिक ताकत और स्वदेशी उत्पादों की बढ़ती लोकप्रियता का भी स्पष्ट संकेत दिया। चीनी उत्पादों की जगह भारतीय वस्तुओं ने जमकर अपनी धाक जमा दी, जिससे देश की आर्थिक मजबूती का अहसास हुआ। इस दिवाली ने यह साबित किया कि जब देशवासियों का संकल्प मजबूत हो, तो किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।






