Monday, August 4, 2025
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ईपीएस-95 पेंशनर्स का ऐलान: सरकार तत्काल बढ़ाए न्यूनतम पेंशन, नहीं तो देशभर में होगा आंदोलन

ऋषि तिवारी


नई दिल्ली। ईपीएस-95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति ने न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग को लेकर आज दिल्ली के जंतर मंतर पर एक विशाल धरना प्रदर्शन आयोजित किया। इस प्रदर्शन का नेतृत्व राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने किया, जिसमें देशभर के 27 राज्यों से हज़ारों की संख्या में पेंशनर शामिल हुए।

पेंशनरों ने केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए गहरा आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री से लेकर कई केंद्रीय मंत्री पेंशनरों से मुलाकात कर ₹1,000 की न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर ₹7,500 करने, महंगाई भत्ता देने और मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का आश्वासन पहले ही दे चुके हैं। संसद के दोनों सदनों में इस मांग को लेकर सैकड़ों बार सवाल उठ चुके हैं और संसदीय समिति भी पेंशन वृद्धि की सिफारिश कर चुकी है, लेकिन इसके बावजूद सरकार कोई ठोस निर्णय नहीं ले रही है।

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे कमांडर अशोक राउत ने कहा, “हमने अब तक संयम बरता है, लेकिन अब हालात बर्दाश्त के बाहर हैं। यदि सरकार ने जल्द निर्णय नहीं लिया, तो देशभर के पेंशनर लोकतांत्रिक तरीक़े से अपनी आवाज़ को संसद तक पहुँचाएंगे और सरकार को ज़मीन पर उतरकर जवाब देना होगा। यह केवल एक आंदोलन नहीं, बल्कि हमारे आत्मसम्मान और अधिकार की लड़ाई है।”

पेंशनरों का कहना है कि वे बीते 10 वर्षों से न्यूनतम पेंशन वृद्धि की मांग को लेकर देशभर में लगातार आवाज़ उठा रहे हैं, लेकिन सरकार की लगातार उपेक्षा और संवेदनहीनता अब असहनीय हो गई है। उनका कहना है कि यह सिर्फ़ एक आर्थिक सवाल नहीं, बल्कि जीवन की गरिमा और अधिकारों से जुड़ा मसला है। इसलिए अब यह आंदोलन निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है और इसे और अधिक व्यापक और तेज़ रूप दिया जाएगा। पेंशनरों ने स्पष्ट किया कि जंतर मंतर पर यह आंदोलन 5 अगस्त को भी पूरे जोश के साथ जारी रहेगा।

धरना स्थल पर समिति के राष्ट्रीय महासचिव वीरेंद्र सिंह राजावत, राष्ट्रीय समन्वयक रमाकांत नरगुंद, महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सचिव सरिता ताई नरखेडे, महाराष्ट्र के समन्वयक सुभाष पोखरकर, राष्ट्रीय सचिव रमेश बहुगुणा, मीडिया प्रभारी राजीव भटनागर सहित देश के विभिन्न राज्यों के अध्यक्षों और वरिष्ठ पदाधिकारियों ने संबोधित किया। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, असम और मणिपुर सहित अनेक राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने एक स्वर में सरकार को चेतावनी दी कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो यह आंदोलन राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक रूप से तेज़ किया जाएगा।

प्रदर्शन स्थल पर सांसदों का भी समर्थन मिला। प्रमुख रूप से पुणे से सांसद श्रीरंग अप्पा बारणे, सीकर (राजस्थान) से सांसद अमराराम और बाराबंकी से सांसद तनुज पुनिया धरना स्थल पर पहुंचे और आंदोलन को अपना नैतिक समर्थन दिया।

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