भवेश कुमार
मुजफ्फरपुर ।मुजफ्फरपुर में कोर्ट ने महज 20 हजार के घोटाले में 38 साल बाद फैसला सुनाते हुए 76 साल के रिटायर्ड इंजीनियर को सजा सुनाई और घोटाले की कुल राशि का आधा जुर्माना भी लगाया।
बिहार में रिटायर्ड इंजीनियर को 38 साल बाद सजा मिली है। मुजफ्फरपुर की विशेष निगरानी कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। उसे घोड़ासाहन के त्रिवेणी नहर घोटाला मामले में दोषी पाया गया था। जिसमें कोर्ट ने उसे 4 साल की सजा सुनाई है। साथ ही, 10हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना नहीं देने पर उनकी जेल की सजा बढ़ा दी जाएगी।
बताया जाता है कि त्रिवेणी नहर की मरम्मत में 20 हजार रुपये का घोटाला हुआ था। इसमें दोषी पाए गए पटना निवासी तत्कालीन सहायक अभियंता 76 वर्षीय सुरेंद्रनाथ वर्मा को सजा सुनाई गई है। इस घोटाले को लेकर निगरानी ब्यूरो ने अलग-अलग 13 एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें जून 1987 को 20 हजार 925 रुपये के घोटाले के आरोप में तत्कालीन निगरानी इंस्पेक्टर अरुण कुमार सिंह विनीत ने एक एफआईआर दर्ज की थी।
त्रिवेणी नहर की मरम्मत में 20 हजार रुपये का घोटाला हुआ था। इसमें दोषी पाए गए पटना निवासी तत्कालीन सहायक अभियंता (एई) 76 वर्षीय सुरेंद्रनाथ वर्मा को सजा सुनाई गई है। इस घोटाले को लेकर निगरानी ब्यूरो ने अलग-अलग 13 एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें जून 1987 को 20 हजार 925 रुपये के घोटाले के आरोप में तत्कालीन निगरानी इंस्पेक्टर अरुण कुमार सिंह विनीत ने एक एफआईआर दर्ज की थी।
इसमें सुरेंद्रनाथ के अलावा तत्कालीन कार्यपालक अभियंता रामचंद्र प्रसाद सिंह, तत्कालीन जूनियर इंजीनियर नवल किशोर प्रसाद सिंह और ठेकेदार समी खान को आरोपित बनाया गया था। विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि निगरानी जांच में पाया गया कि ठेकेदार समी खान ने महज 1031 रुपये का काम कराया था।लेकिन, उसे घूस लेकर 21 हजार 956 रुपये का भुगतान किया गया। इस तरह 20 हजार 925 रुपये का घोटाला हुआ।
जांच के बाद निगरानी ब्यूरो ने चारों आरोपितों पर चार्जशीट दायर की। ट्रायल के दौरान तीन आरोपित रामदचंद्र प्रसाद सिंह, नवल किशोर प्रसाद सिंह और ठेकेदार समी खान की मौत हो गई। जिंदा बचे तत्कालीन सहायक अभियंता पर ट्रायल चला. इसमें फैसला सुनाकर उन्हें सजा दी गई।
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