Sunday, July 20, 2025
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सरस आजीविका मेला 2025 का शुभारंभ: 31 राज्यों के उत्पादों की बिक्री के साथ शुरू हुआ मेला

संदिप कुमार गर्ग


नोएडा। नोएडा में पांचवीं बार परंपरा, कला एवं संस्कृति का मनोरम माहौल और लखपति स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) दीदियों की निर्यात क्षमता के विकास की थीम के साथ सरस आजीविका मेला 2025 का शुभारंभ 21 फरवरी, शुक्रवार से हुआ। यह मेला 10 मार्च 2025 तक नोएडा के सेक्टर-33ए स्थित नोएडा हाट में आयोजित किया जाएगा। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) के समर्थन से आयोजित इस मेले में ग्रामीण भारत की शिल्प कलाओं का मुख्य रूप से प्रदर्शन किया जा रहा है।

21 फरवरी से 10 मार्च 2025 तक चलने वाले इस उत्सव में नोएडा हाट में 400 से अधिक महिला शिल्प कलाकार शामिल हैं, जो परंपरागत हस्तकला, ग्रामीण संस्कृति और स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं। इसके साथ ही मेले में 85 से अधिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

इंडिया फूड कोर्ट: 20 राज्यों के क्षेत्रीय व्यंजनों का स्वाद
इस बार सरस आजीविका मेले में इंडिया फूड कोर्ट एक प्रमुख आकर्षण है। इसमें देशभर के 20 राज्यों की 80 उद्यमी गृहणियों ने अपने-अपने प्रदेश के प्रसिद्ध क्षेत्रीय व्यंजनों के स्टॉल लगाए हैं। इन स्टॉल्स पर हर प्रदेश के व्यंजनों का अनोखा स्वाद लोगों को आनंदित कर रहा है। इसके अलावा, देशभर से 400 से अधिक लखपति दीदियां इस मेले की खास मेहमान बनी हुई हैं।

हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों की भरमार : चिरंजी कटारिया
पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) के चिरंजी कटारिया ने बताया कि सरस आजीविका मेला 2025 में हथकरघा, साड़ी और ड्रेस मटेरियल से जुड़े कुछ उत्कृष्ट प्रदर्शन शामिल हैं। इनमें आंध्र प्रदेश की कलमकारी, असम का मेखला चादर, बिहार की कॉटन और सिल्क साड़ी, छत्तीसगढ़ की कोसा साड़ी, गुजरात का भारत गुंथन और पैचवर्क, झारखंड की तसर सिल्क और कॉटन साड़ी, मध्य प्रदेश के चंदेरी और बाग प्रिंट, मेघालय के इरी उत्पाद, ओडिशा की तसर और बांधा साड़ी, तमिलनाडु की कांचीपुरम साड़ी, तेलंगाना की पोचमपुरी साड़ी, उत्तराखंड की पश्मीना, कथा, बाटिक प्रिंट, तांत और बालुचरी तथा पश्चिम बंगाल के विभिन्न उत्पाद शामिल हैं।

हस्तशिल्प, ज्वेलरी और होम डेकोर उत्पाद
मेले में हस्तशिल्प, ज्वेलरी और होम डेकोर उत्पादों की भी भरमार है। इनमें आंध्र प्रदेश की पर्ल ज्वेलरी, असम के वाटर हायसिंथ हैंडबैग और योगा मैट, बिहार की लाह की चूड़ियां, मधुबनी पेंटिंग और सिक्की क्राफ्ट, छत्तीसगढ़ के बेल मेटल उत्पाद, गुजरात के मिरर वर्क और डोरी वर्क, हरियाणा के टेराकोटा उत्पाद, झारखंड की ट्राइबल ज्वेलरी, कर्नाटक के चन्नापटना खिलौने, ओडिशा के सबाई ग्रास उत्पाद और पटचित्र, तेलंगाना के लेदर बैग, वॉल हैंगिंग और लैंप शेड्स, उत्तर प्रदेश के होम डेकोर उत्पाद और पश्चिम बंगाल के डोकरा क्राफ्ट, सितल पट्टी और विविध उत्पाद शामिल हैं।

प्राकृतिक खाद्य पदार्थों की उपलब्धता
मेले में प्राकृतिक खाद्य पदार्थों के स्टॉल भी लगाए गए हैं। इनमें अदरक की चाय, दाल कॉफी, पापड़, एपल जैम और अचार जैसे उत्पाद उपलब्ध हैं। साथ ही, बच्चों के मनोरंजन के लिए भी विशेष इंतजाम किए गए हैं।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद*
मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी भरपूर आनंद उठाया जा सकता है। पहले दिन अंशु आर्ट्स के हिमाचली नृत्य और सत्यम इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन के ग्रुप डांस की प्रस्तुति पर नोएडावासी झूम उठे।

ग्रामीण विकास मंत्रालय की पहल*
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने यह मेला एक विशेष मुहिम के तहत आयोजित किया है, जिसका उद्देश्य हस्तशिल्पियों और हस्तकारों को रोजगार के अवसर प्रदान करना है। मेले के दौरान देशभर के 31 राज्यों के हजारों उत्पादों की प्रदर्शनी और बिक्री की जा रही है।

इस अवसर पर पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) के सुधीर कुमार सिंह और सुरेश प्रसाद सहित अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों ने मेले की व्यवस्थाओं में पूर्ण सहयोग दिया।

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