संध्या समय न्यूज संवाददाता
मुजफ्फरपुर। मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की अलग-अलग टीम ने बड़ी कार्रवाई की है और उससे जुड़े लोगों के 9 ठिकानों पर गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापेमारी की। बता दे कि टीम ने पटना, मुजफ्फरपुर, सूरत और पानीपत में जेल में बंद आईएएस संजीव हंस के सहयोगी रिशु श्री और उससे जुड़े सिंडिकेट के खिलाफ छापेमरी की है। ईडी के हाथ कई ऐसे सबूत मिले, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि राज्य सरकार द्वारा जारी टेंडरों में अनियमितताएं हुई हैं। छापेमारी के दौरान कुछ व्यक्तियों और ठेकेदार से जुड़े यात्रा एजेंटों के खिलाफ कई साक्ष्य और दस्तावेज़ जब्त किए गए हैं। रिशु श्री सरकारी ठेके में कमीशन के खेल में शामिल भ्रष्ट अफसरों को देश-विदेश घुमाता था। सूरत और पानीपत में स्थित ट्रैवल एजेंट उनके टिकट बुक करते थे। इन ट्रेवल एजेंटों के ठिकानों से काफी मात्रा में संबंधित अधिकारियों की यात्रा से जुड़े दस्तावेज मिले हैं, जिनकी जांच की जा रही है।पटना में यह छापेमारी दानापुर के पूर्वी गोला रोड इलाके में रिशु श्री से जुड़े एक अवर सचिव स्तर के अधिकारी विनोद कुमार के आवास पर हुई है।
ट्रांसफर पोस्टिंग भी तय करता था रिशु
बता दे कि ठेकेदार की कंपनियाँ विभिन्न बिहार सरकार के विभागों जैसे जल संसाधन, स्वास्थ्य, सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग, शहरी विकास, बिहार शहरी बुनियादी ढांचा विकास निगम (BUIDCO), शिक्षा, भवन और निर्माण तथा ग्रामीण कार्य विभाग में अनुबंध और उप-अनुबंध लेती हैं। ईडी की टीम ने पटना में गोला रोड स्थित एक अधिकरी के ठिकाने पर भी छापेमारी की। आरोप है कि यह अधिकारी रिशु श्री के इशारे पर काम करते थे। वह सामान्य प्रशासन विभाग के जरिए छोटे कर्मियों का ट्रांसफर-पोस्टिंग देखने का काम करता था। ईडी को शक है कि रिशु श्री कई जिलों में अपने नेटवर्क के जरिए अधिकारियों और कर्मचारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग भी तय करता था।
अधिकारियों को लंदन-पेरिस जैसे देशों की सैर करता था
बता दे कि ठेकेदार रिशु श्री विभिन्न सरकारी अधिकारियों के साथ गठजोड़ करता था। उन्हें कई तरह के प्रलोभन देता था। इतना ही नहीं रिशु श्री के सिंडीकेड के अधिकारियों-नेताओं को लंदन-पेरिस जैसे देशों की सैर कराने वाले ट्रैवल एजेंट और मुजफ्फरपुर में उसके सीए के ठिकाने से भी ईडी को कई दस्तावेज में मिले हैं। यह भी बात सामने आई है कि रिशु श्री कंपनी श्रीनेस बिल्ड इंफ्र प्राइवेट लिमिटेड के जरिए कई भ्रष्ट अधिकारियों काले पैसे सफेल किए जाते थे। बता दें कि इस मामले में मार्च में कुछ सरकारी अधिकारियों के खिलाफ इसी तरह की छापेमारी की गई थी, जिसमें 11.64 करोड़ रुपये जब्त किए गए थे।