Tuesday, July 22, 2025
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Mumbai Serial Blast 2006: मुंबई ट्रेन सीरियल ब्लास्ट केस- सभी 12 आरोपी बरी, सवाल उठे जिम्मेदार कौन?

संध्या समय न्यूज संवाददातता


मुंबई। साल 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेन में सात स्थानों पर ब्लॉस्ट हुआ था, जिसमें 189 लोगों की मौत हो गई थी। मुंबई हाई कोर्ट ने इसपर आज सोमवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी दोषियों को बरी कर दिया गया है। यह फैसला न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति एस. जी. चांडक की पीठ ने सुनाया है और हाई कोर्ट के फैसले के बाद सवाल उठ रहा है कि आखिर 189 बेकसूर लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है, जब सारे आरोपी बेगुनाह हैं तो 189 लोगों की जान किसने ली है।

बता दे कि सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने कहा है कि मैंने इस केस को फॉलो नहीं किया था, लेकिन कोर्ट का जो फैसला आया है वह चौंकाने वाला है। उन्होंने कहा कि गंभीर सवाल यह है कि अगर आरोपी धमाके में शामिल नहीं थे तो फिर कौन था। वहीं, महाराष्ट्र सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने का फैसला किया है। वो सुप्रीम कोर्ट जाऐगे।

जाने, 2006 मुंबई ट्रेन घटना के बारे में
बता दे कि हाई कोर्ट ने अपने फैसला 11 जुलाई का था जो कि साल था 2006 का समय शाम का था हमेशा की तरह मुंबई दौड़ रही थी और ऑफिस का काम निपटाकर लोग अपने घरों की ओर निकल रहे थे दहशतगर्द मुंबई को दहलाने जा रहे थे। मुंबई लोकल के सात स्थानों पर बम प्लांट किया गया था और दौड़ती लोकल के बीच एक-एक कर 7 धमाके हुए थे। यह सब कुछ 5 मिनट के अंदर किया गया था। जिसे देख मुंबई में अफरातफरी मच गई थी। लोग जान बचाने के लिए भगदड़ मच गया था। जो चले गए उनके शव की तलाश होने लगी थी और जो बच गए उनके पास बताने को सिर्फ दर्द ही दर्द ही रह गया था। इन धमाकों में कुल 189 लोगों की मौत हुई और 800 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

बता दे कि घटना के बाद 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 15 अन्य को वांटेड घोषित कर दिया गया था। जिनमें से कुछ कथित तौर पर पाकिस्तान में थे और एटीएस ने मकोका और यूएपीए के तहत नवंबर 2006 में आरोपपत्र दाखिल किया था।

जाने कहां-कहां और कितने बजे हुए विस्फोट?
बता दे कि पहला बम विस्फोट शाम 6.23 बजे किया गया था, इसके कुछ ही देर बाद चर्चगेट से बोरीवली जाने वाली पश्चिम रेलवे की उपनगरीय ट्रेन में किया गया। यह बम उस समय फटा जब ट्रेन खार और सांताक्रूज़ स्टेशनों के बीच में थी उसी समय बांद्रा और खार रोड के बीच एक लोकल ट्रेन में एक और बम विस्फोट हुआ था। इसके बाद जोगेश्वरी, माहिम जंक्शन, मीरा रोड-भायंदर, माटुंगा-माहिम जंक्शन और बोरीवली में पांच और विस्फोट हुए थें

जाने कोर्ट में क्या हुआ था
बता दे कि निचली अदालत में अभियोजकों ने कहा है कि इस हमले की योजना पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने बनाई थी और इसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा के कार्यकर्ताओं ने प्रतिबंधित भारतीय समूह स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया की मदद से अंजाम दिया। हर बार की तरह पाकिस्तान ने इस भी आरोपों को खारिज कर दिया था और कहा था कि भारत ने हमलों में पाकिस्तान की संलिप्तता का कोई सबूत नहीं दिया। आठ साल तक चली सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने 13 में से 12 आरोपियों को दोषी ठहराया औा पांच को मौत की सजा सुनाई गई और बाकी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई दी।

जाने, 2006 में 13 आरोपी की सजा
बता दे कि एंटी टेररिज्म स्क्वैड ने 20 जुलाई, 2006 से 3 अक्टूबर, 2006 के बीच आरोपियों को गिरफ्तार किया। उसी साल नवंबर में आरोपियों ने कोर्ट को लिखित में जानकारी दी कि उनसे जबरन इकबालिया बयान लिए गए। चार्जशीट में 30 आरोपी बनाए गए। इनमें से 13 की पहचान पाकिस्तानी नागरिकों के तौर पर हुई। करीब 9 साल तक केस चलने के बाद स्पेशल मकोका कोर्ट ने 11 सितंबर 2015 को फैसला सुनाया था। कोर्ट ने 13 आरोपियों में से 5 दोषियों को फांसी की सजा, 7 को उम्रकैद की सजा और एक आरोपी को बरी कर दिया था।

2016 में आरोपियों ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया, 9 साल केस चला
बता दे कि 2016 में आरोपियों ने इस फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी और अपील दायर की। 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपीलों पर सुनवाई शुरू की। अदालत ने कहा कि इस मामले में विस्तृत दलीलें और रिकॉर्ड की समीक्षा की जाएगी। 2023 से 2024 तक हाईकोर्ट में मामला लंबित रहा, सुनवाई टुकड़ों में होती रही। 2025 में हाईकोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को बरी किया।

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