ऋषि तिवारी
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि वर्तमान में दुनिया के सामने सबसे बड़ी समस्या जलवायु परिवर्तन की है। लेकिन, हम इसका हल ढूंढने का प्रयास करें तो भारतीय ज्ञान परंपरा में ही इसका हल है। कुलपति G-20 को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय में होने वाली सांस्कृतिक-सह-शैक्षणिक गतिविधियों (कल्चरल कम अकैडमिक एक्टिविटीस) की उद्घाटन बैठक की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे। गौरतलब है कि G-20 में भारत की अध्यक्षता को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय ने भी कार्यक्रमों के आयोजन की योजना बनाई है। इसके तहत डीयू कल्चर काउंसिल द्वारा 28 अगस्त से 29 नवम्बर तक विभिन्न कॉलेजों और विभागों में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
कुलपति ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा के कारण ही प्राचीन काल में भारत 36% का ग्रोथ रेट रखता था। उस वक़्त जब भारत एक समृद्ध देश था तो हमने अपने जंगल, नदियों और अपने पर्यावरण को नष्ट नहीं किया था। यह सतत विकास का असली उदाहरण है। G-20 में भारत की अध्यक्षता को लेकर कुलपति ने कहा कि केवल शहरों में ही नहीं, अपितु ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसे लेकर भारी उत्साह है। भारत के लिए यह स्वर्णिम अवसर है। कुलपति ने कहा कि G-20 दुनिया के परफोर्मिंग देशों का समूह है, जिसमें वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85% और वैश्विक व्यापार का 75% से अधिक तथा विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी शामिल है। भारत में G-20 के आयोजन को लेकर कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों के लिए भी इसमें योगदान देने का यह एक अच्छा अवसर है। इसके माध्यम से हमें एक दूसरे की संस्कृति को समझने का मौका मिलेगा। उन्होंने कार्यक्रम की विस्तृत योजना के लिए कल्चर काउंसिल को भी बधाई दी। कुलपति ने सभी नोडल सेंटरों को G-20 फ्लैग भी प्रदान किए। इस अवसर पर कल्चर काउंसिल की वार्षिक रिपोर्ट भी जारी की गई।
कार्यक्रम के आरंभ में दिल्ली विश्वविद्यालय कल्चर काउंसिल के चेयर पर्सन अनूप लाठर ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भारत प्राचीन काल से ज्ञान का केंद्र रहा है। जैसे आज भारत के युवा यहां से शिक्षा ग्रहण करके उच्च शिक्षा के लिए विदेशों में जाते हैं और फिर वहां सेवा करते हैं, वैसे ही प्राचीन काल में विदेशों से लोग शिक्षा ग्रहण करने भारत आया करते थे। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि स्थानेश्वर के राजा हर्षवर्धन का मूल देश बर्मा था। यही नहीं कनिष्क भी बाहर की भूमि से भारत में आए और यहां शिक्षा ग्रहण करने के बाद यहीं राज किया, जैसे आज ऋषि सुनक इंग्लैंड के प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने G-20 में भारत की अध्यक्षता को लेकर कहा कि आज सारा विश्व हमारी ओर देख रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा भी इसी को ध्यान में रख कर G-20 सांस्कृतिक-सह-शैक्षणिक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। समारोह के अंत में कल्चर काउंसिल डीन प्रो. रविन्द्र कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि G-20 में भारत ने नया आयाम जोड़ा है। ऐसी संस्कृति का निर्माण करना है कि संकट पैदा ही न हो। इस अवसर पर डीन ऑफ कॉलेजेज़ प्रो. बलराम पाणी, दक्षिणी दिल्ली परिसर के निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता, कई डीन, संबंधित कॉलेजों के प्रिंसिपल, शिक्षक और अनेकों विद्यार्थी उपस्थित रहे।
भारत की शक्ति के बारे में जागरूकता बढ़ाएंगे कार्यक्रम: प्रो. रविन्द्र
दिल्ली विश्वविद्यालय की कल्चर काउंसिल के डीन प्रो. रविंद्र कुमार ने बताया कि G-20 में भारत की अध्यक्षता का जश्न मनाने के लिए कल्चर काउंसिल द्वारा कार्यक्रमों की एक लंबी श्रृंखला आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। विद्यार्थियों, शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में भारत की शक्ति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय में G-20 मनाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए कल्चर काउंसिल ने 15 कॉलेजों और तीन विभागों के साथ 18 नोडल केंद्रों को शॉर्टलिस्ट किया है। इनके अलावा, अधिकतम भागीदारी के साथ कार्यक्रम को समावेशी बनाने के लिए दो और कॉलेज या विभाग प्रत्येक नोडल केंद्र के साथ समन्वय कर सकते हैं। सभी आयोजनों के सुचारू संचालन के लिए कल्चर काउंसिल कार्यालय ने सभी संबंधित दूतावासों और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) को ईमेल भेजा है और सभी नोडल केंद्रों को बेहतर परिणामों के लिए उनके साथ समन्वय करने की सलाह दी है। इस कार्यक्रम के तहत नियोजित गतिविधियाँ व्यापक और विविध हैं, जिनमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, संगोष्ठियाँ, समसामयिक मुद्दों पर डिबेट, व्यवसाय और व्यापार पर सेमिनार तथा अन्य प्रासंगिक गतिविधियां शामिल हैं।
नोडल केन्द्रों में G-20 देशों के आधार पर होंगे कार्यक्रम
दिल्ली विश्वविद्यालय में 28 अगस्त से 29 नवम्बर तक 15 कॉलेजों और 3 विभागों में G-20 के तहत एकेडमिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। प्रत्येक नोडल सेंटर को G-20 देशों में से एक-एक देश दिया गया है। इसके तहत उस नोडल सेंटर में उसे आबंटित देश और उस देश के साथ भारत की संभावनाओं को लेकर कार्यक्रम आयोजित होंगे। इनमें दोनों देशों से संबंधित एकेडमी सेमिनार और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं। आयोजन के तहत सबसे पहले दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज में 28-29 अगस्त को संयुक्त राज्य अमेरिका को लेकर कार्यक्रमों का आयोजन होगा। ज़ाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज (ईवनिंग) में 14-15 सितम्बर को आयोजन होंगे जिनमें दक्षिण अफ़्रीका पर कार्यक्रम होंगे। श्री अरबिंदो कॉलेज (दिन) में 20 सितंबर को चीन पर कार्यक्रम होंगे। इसी कड़ी में 22 सितंबर को जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज में कनाडा पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा जबकि 26 सितंबर को भास्कराचार्य कॉलेज ऑफ एप्लाइड साइंसेज में फ़्रांस पर कार्यक्रम होंगे।
इसी प्रकार 27 सितंबर को मिरांडा हाउस कॉलेज में यूरोपीय संघ पर आधारित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा तथा 5-6 अक्टूबर को सत्यवती ईवनिंग कॉलेज में इंडोनेशिया पर कार्यक्रम आयोजित होंगे। डॉ. भीमराव अम्बेडकर कॉलेज में 10 अक्टूबर को मेक्सिको पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। सऊदी अरब को लेकर अरबी विभाग में 11-12 अक्टूबर को कार्यक्रम आयोजित होंगे। एंथ्रोपोलॉजी विभाग में 16-17 अक्टूबर को ब्राज़ील और जापान पर प्रोग्राम होंगे तथा अदिति महाविद्यालय में 18 अक्टूबर को इटली देश पर कार्यक्रमों का आयोजन होगा।
इसी कड़ी में भारती कॉलेज में 27 अक्टूबर को रूस पर आधारित कार्यक्रमों का आयोजन होगा। पीजीडीएवी कॉलेज (ईवनिंग) में 31 अक्टूबर को जर्मनी को लेकर कार्यकामों का आयोजन किया जाएगा। किरोड़ीमल कॉलेज में 2-3 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया पर आधारित कार्यक्रम होंगे। इसी तरह इंद्रप्रस्थ कॉलेज फॉर वुमेन में 7-8 नवंबर को कोरिया गणराज्य पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। फ़ारसी विभाग में 14 नवंबर को तुर्की देश पर आधारित कार्यक्रम होंगे। इसी कड़ी में जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज में 20 नवंबर को अर्जेंटीना पर कार्यक्रमों तथा लक्ष्मीबाई कॉलेज में 28-29 नवंबर को यूनाइटेड किंगडम पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।