संदीप कुमार गर्ग
नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद जफर इस्लाम के नेतृत्व में हस्तशिल्प निर्यातकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने निर्मला सीतारमण, केंद्रीय वित्त मंत्री, भारत सरकार से मुलाकात की जिनमें हस्तशिल्प निर्यातक भी शामिल हैं। इस मुलाक़ात में आईईएमएल के अध्यक्ष और ईपीसीएच के मुख्य संरक्षक डॉ. राकेश कुमार और मुरादाबाद हस्तशिल्प निर्यातक संघ (एमएचईए) के महासचिव अवदेश अग्रवाल भी उपस्थिति रहे। उन्होंने एमएसएमई द्वारा आपूर्ति किए गए माल को 45 दिनों में भुगतान का एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया, जो एमएसएमई को प्रभावित कर रहा है।
आईईएमएल के अध्यक्ष और मुख्य संरक्षक-ईपीसीएच डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि हालांकि निर्णय का उद्देश्य एमएसएमई को समर्थन देना है, लेकिन प्रारंभिक प्रतिक्रिया अलग है। हस्तशिल्प उद्योग के लिए एमएसएमई को 45 दिनों के भीतर भुगतान करना चुनौतीपूर्ण है, जिसमें क्रेडिट अवधि अक्सर 180 दिनों तक चलती है। उन्होंने आगे कहा कि हस्तशिल्प निर्यात शिपमेंट को गंतव्य बंदरगाह पर पहुंचने में आमतौर पर 90 दिन लगते हैं और भुगतान प्राप्त होने में 90 दिन लगते हैं।
ईपीसीएच के अध्यक्ष श्री दिलीप बैद ने साझा किया कि हम इस मुद्दे को विभिन्न मंचों पर बहुत लंबे समय से प्रस्तुत कर रहे हैं, 45 दिनों के एमएसएमई खंड को आयकर प्रावधान के साथ जोड़ने से एमएसएमई निर्यातक को व्यय में कटौती का लाभ नहीं मिलेगा। उनकी कर देनदारी बढ़ेगी । मुझे उम्मीद है कि आज की बैठक से कोई सकारात्मक नतीजा निकलेगा, जिससे पूरे हस्तशिल्प क्षेत्र को राहत मिलेगी।
मुरादाबाद हैंडीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (एमएचईए) के महासचिव, श्री अवदेश अग्रवाल ने ई-वे बिल जनरेट करने के संबंध में जीएसटी पोर्टल में संशोधन का मुद्दा उठाया, जिसमें व्यापारी तब तक ई-वे बिल जनरेट नहीं कर पाएंगे, जब तक माल उनके पास नहीं आ जाता। इससे जीएसटी चोरी को रोका जा सकता है। उन्होंने अन्य मुद्दों पर भी प्रकाश डाला, जैसे हस्तशिल्प क्षेत्र को दी जाने वाली आवश्यक अलंकरण, ट्रिमिंग, उपकरण और उपभोग्य सामग्रियों के शुल्क मुक्त आयात में विद्युत फिटिंग जैसी कुछ वस्तुओं को शामिल करना, हस्तशिल्प क्षेत्र के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना, RoDTEP दरों पर फिर से विचार करना आदि।
माननीय मंत्री ने उठाए गए मुद्दों को धैर्यपूर्वक सुना और उन पर गौर किये जाने की बात कही।हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद के कार्यकारी निदेशक आर.के वर्मा ने बताया कि ईपीसीएच दुनिया भर के विभिन्न देशों में भारतीय हस्तशिल्प निर्यात को बढ़ावा देने और उच्च गुणवत्ता वाले हस्तशिल्प उत्पादों और सेवाओं के एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में विदेशों में भारत की छवि और होम,जीवनशैली, कपड़ा, फर्नीचर और फैशन आभूषण और सहायक उपकरण के उत्पादन में लगे क्राफ्ट क्लस्टर के लाखों कारीगरों और शिल्पकारों के प्रतिभाशाली हाथों के जादू की ब्रांड इमेज बनाने के लिए जिम्मेदार एक नोडल संस्थान है। इस अवसर पर ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर के वर्मा ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान हस्तशिल्प निर्यात 30,019.24 करोड़ रुपये (3,728.47 मिलियन डॉलर) रहा।