सुरेन्द्र दुआ संवाददाता
नूंह। जिला में देवशयनी एकादशी पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया। मंगलारती से ही मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड पड़ा था। व्रतधारियों ने अपने अराध्य की पूजा अर्चना कर महिमा का गुणगान किया। भारतीय धर्म संस्कृति में इस पर्व का विशेष महत्व माना गया है और इसके बाद चार माह तक मांगलिक कार्य बंद रहेंगे। प्राचीन देवीभवन तावडू के पुरोहित पंडित विनोद शर्मा पराशर के मुताबिक जिला में 29 जून को देवश्यानी पर्व धूमधाम से मनाया गया है ,आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है।
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढक़र 26 हो जाती है। कहीं-कहीं इस तिथि को ‘पद्मनाभा’ भी कहते हैं। सूर्य के मिथुन राशि में आने पर ये एकादशी आती है। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ माना जाता है। इस दिन से भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं और फिर लगभग चार माह बाद तुला राशि में सूर्य के जाने पर उन्हें उठाया जाता है। उस दिन को देवोत्थानी एकादशी कहा जाता है। इस बीच के अंतराल को ही चातुर्मास कहा गया है। देवशयनी एकादशी से चतुर्मास शुरू हो जाएगा। इसके बाद सभी मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे। भगवान श्रीहरि विष्णु चार माह तक योग निद्रा में रहेंगे। अब चार माह के लिए देवगण विश्राम करेंगे।