महाराष्ट्र की राजनीति में रविवार को बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। अजित पवार एकनाथ शिंदे के मंत्रिमंडल में शामिल हो गए है। उनको महाराष्ट्र का डिप्टी सीएम बनाया दिया गया है और अजित पवार ने दोपहर ढाई बजे शिवसेना के एकनाथ शिंदे की सरकार में डिप्टी CM पद की शपथ ली। शपथ के तुरंत बाद ट्विटर प्रोफाइल बदला और लिखा- डिप्टी सीएम ऑफ महाराष्ट्र।
ऋषि तिवारी
अजित पवार 5वीं बार महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बने हैं। 14वीं विधानसभा में उनके नाम तीन बार शपथ लेने का रिकॉर्ड है। अजित पवार साल 2019 के बाद की तीसरी बार राज्य के डिप्टी सीएम बने हैं। अजित पवार 8 विधायकों छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, अनिल पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल, धर्मराव अत्राम, सुनील वलसाड, अदिति तटकरे और हसन मुश्रीफ के साथ दोपहर करीब 2 बजे राजभवन पहुंचे। 3 बजते-बजते CM शिंदे और डिप्टी CM देवेंद्र फडवणीस की मौजूदगी में सभी को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई।
हालांकि, शपथ लेने के बाद दोनों 80 घंटे ही अपने पदों पर रह पाए थे, जिसके बाद यह सरकार गिर गई थी। उस सरकार की जगह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार आई, जिसमें अजित पवार फिर से उपमुख्यमंत्री बने। रविवार को एक बार फिर से उनको एकनाथ शिंदे की सरकार उपमुख्यमंत्री बनाया गया।
अजित पवार बीजेपी में शामिल? या एनसीपी में फूट?
अजित पवार बीजेपी में शामिल नहीं हुए हैं। 40 विधायकों के समर्थन के साथ उनका उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेना, जैसा कि उन्होंने दावा किया था, यह दर्शाता है कि वह पार्टी को विभाजित करने और विधानसभा में बहुमत साबित करने की राह पर हैं।
अयोग्यता के लिए कदम बढ़ा सकते हैं शरद पवार?
शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि उनकी राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से बात हुई है। जिन्होंने कहा है कि वह मजबूत हालत में हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि शरद पवार सरकार से हाथ मिलाने वाले विधायकों की अयोग्यता के लिए कदम उठाएंगे। संजय राउत ने कहा कि मेरी अभी शरद पवार से बात हुई। उन्होंने कहा, ‘मैं मजबूत हूं। हमें लोगों का समर्थन प्राप्त है। हम उद्धव ठाकरे के साथ सब कुछ फिर से बनाएंगे।’ हां, लोग इस खेल को लंबे समय तक बर्दाश्त नहीं करेंगे।’
जानिए पुणे में शरद पवार ने क्या कहा था?
इस घटनाक्रम पूरे सियासी हलचल पर अब एनसीपी के चीफ शरद पवार ने बड़ा दावा किया है। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने गुरुवार को पुणे में मीडिया को संबोधित किया था। पवार ने इस दौरान 23 नवंबर, 2019 के घटनाक्रम का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि उस दिन सुबह अजित पवार के साथ फडणवीस के शपथ ग्रहण कार्यक्रम ने साफ कर दिया था कि बीजेपी सत्ता में आने के लिए किसी के भी साथ जा सकती है।
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शरद पवार ने आगे कहा था कि मैं यही साबित करना चाहता था और यह साबित हो गया। आप इसे मेरा जाल कह सकते हैं या कुछ और। यह आपको तय करना है।’ शरद पवार इस बयान के जरिए यह साबित करते दिखे कि अजित पवार ने बगावत नहीं की थी, बल्कि फडणवीस को समर्थन देकर सरकार बनाना और फिर गिरा देना दोनों शरद पवार के प्लान का हिस्सा थे।
देवेंद्र फडणवीस ने शरद पवार पर साधा था निशाना
बता दें, इसी दिन यानी गुरुवार सुबह देवेंद्र फडणवीस ने 2019 में महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम का जिक्र करते हुए शरद पवार पर निशाना साधा था। उन्होंने आरोप लगाया था कि 2019 में चुनाव नतीजों के बाद एनसीपी के कुछ लोगों ने उनसे संपर्क किया और कहा कि वो एक स्थिर सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। फिर इसको लेकर शरद पवार के साथ एक बैठक हुई और फैसला लिया गया कि सरकार बनाई जाएगी। मुझे और अजित पवार को सभी पावर दी गईं, लेकिन शपथ ग्रहण की तैयारियों के बीच शरद पवार ने अपना फैसला वापस ले लिया।
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महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस यह बात पहले भी कह चुके हैं। साल 2019, फिर फरवरी 2023 में भी फडणवीस ने दावा किया था कि बीजेपी और एनसीपी मिलकर सरकार बना रहे हैं ये बात शरद पवार जानते थे और उन्होंने इसका समर्थन भी दिया था, लेकिन बाद में NCP ने रणनीति बदल ली। हालांकि, तब फडणवीस के बयान को गलत बताते हुए शरद पवार ने कहा था कि बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता को इस तरह के झूठे दावे नहीं करने चाहिए।
2019 विधानसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना में हुआ था गठबंधन
महाराष्ट्र में साल 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 105 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि शिवसेना को 56 सीटों पर जीत हासिल की थी। दोनों पार्टियों ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था। बीजेपी और शिवसेना गठबंधन को सरकार बनाने का स्पष्ट जनादेश मिला था, लेकिन 24 अक्टूबर को नतीजों के बाद दोनों दरार आ गई। दोनों दलों में सत्ता को लेकर खींचतान शुरू हो गई। शिवसेना ने यह कहते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावा ठोका कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसका भरोसा दिया था।
12 नवंबर 2019 राष्ट्रपति शासन
शिवसेना ने कहा था कि ढाई-ढाई साल के लिए दोनों पार्टियों से सीएम चुना जाए। बीजेपी इस पर राजी नहीं थी। 288 विधानसभा सीट वाले महाराष्ट्र राज्य में सरकार बनाने के लिए 145 सीट चाहिए थीं। किसी भी पार्टी के पास यह जादूई आंकडा नहीं था। फिर केंद्र सरकार ने राज्यपाल की सिफारिश पर 12 नवंबर 2019 को राष्ट्रपति शासन लगा दिया था।
80 घंटे में गिर गई थी फडणवीस सरकार
इसके बाद शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने महा विकास अघाड़ी (MVA) नाम से गठबंधन बनाया और शरद पवार ने ऐलान किया कि MVA की तरफ से उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री होंगे। इसके बाद 23 नवंबर को अचानक राष्ट्रपति शासन हटाकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सुबह-सुबह देवेंद्र फडणवीस को सीएम और अजित पवार को डिप्टी सीएम की शपथ दिलवा दी, लेकिन 80 घंटे के अंदर यह सरकार गिर गई थी।