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चीन ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की

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बीजिंग। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बीजिंग में शुक्रवार को एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीन हर तरह के आतंकवाद का सख्त विरोध करता है और 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करता है। चीन सभी देशों से आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने और क्षेत्रीय शांति व स्थिरता बनाए रखने की अपील करता है। चीन का यह बयान अमेरिका के पाकिस्तान समर्थित टीआरएफ (आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट) को ‘विदेशी आतंकवादी संगठन’ घोषित किए जाने के बाद आया है। चीन ने पहलगाम हमले की निंदा तो की है।

बड़ा सवाल- TRF के विरोध में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र संघ में पर्दे के पीछे से जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों का समर्थन देने वाला चीन आखिर द रेजिडेंट फ्रंट के खिलाफ मुखर क्यों है? वो भी तब, जब टीआएरफ लश्कर ए तैयबा का ही एक शाखा है चीन पहलगाम मामले में कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहता है, जिससे उसकी किरकिरी हो गया। पहलगाम में जिस तरीके से लश्कर समर्थित टीआरएफ के आतंकियों ने निर्दोष प्रयटकों पर अटैक किया, उससे पूरी दुनिया में उसकी आलोचना हुई। चीन इन आतंकियों के साथ हमदर्दी दिखाकर खुद बैकफुट पर नहीं आना चाहता है। दूसरी वजह चीन भारत के साथ रिश्ते सुधारने में जुटा है। अमेरिकी टैरिफ दबाव को कम करने के लिए चीन की कोशिश सहयोगी देशों को लामबंद करना है।

टीआरएफ नामक आतंकी संगठन क्या है?
साल 2019 में लश्कर ए तैयबा और इंडियन मुजाहिद्दीन नामक आतंकी संगठन ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ मिलकर द रेजिडेंट फ्रंट की स्थापना की। ओआरएफ पत्रिका के मुताबिक संगठन का उद्देश्य भारत के जम्मू कश्मीर में आतंक फैलाना है। संगठन के कमांडरों की ट्रेनिंग पाकिस्तान में होती है। टीआरएफ पहला आतंकी संगठन है, जिसका कोई मुखिया नहीं है। संगठन की स्थापना सज्जाद गुल ने की थी। हाफिज सईद और आईएसआई के अधिकारियों का इस संगठन के संचालन में सीधा दखल है। पहलगाम अटैक के बाद इस संगठन ने खुद आगे आकर उसकी जिम्मेदारी ली।

 

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