संध्या समय न्यूज संवाददाता
गरिमा जैन प्रतिभाशाली अभिनेत्री हैं जो स्टार भारत के लोकप्रिय शो ‘ना उम्र की सीमा हो’ में साक्षी का किरदार निभा रही हैं, अभिनय को लेकर चर्चा करते हुए गरिमा ने स्क्रीन स्पेस के महत्व और इसके स्थाई प्रभाव के महत्व को लेकर अपना दृष्टिकोण साझा करते हुए कई ख़ास बातें बताई।
गरिमा जैन ने अपना विश्वास व्यक्त करते हुए बताया कि स्क्रीन स्पेस कलाकारों की प्राथमिक चिंता न होने की बजाय उनके किरदार को महत्ता देने पर ज़ोर दिया जाना चाहिए। जहां अभिनेता अपने किरदार की गहराई और दर्शकों पर उसके द्वारा छोड़े गए प्रभाव के महत्व को अहम बताया। अपने सफल करियर के दौरान, गरिमा ने सीमित स्क्रीन टाइम के साथ कई विभिन्न छोटी भूमिकाएँ निभाई हैं, लेकिन उन्होंने हमेशा हर एक किरदार के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित किया है।
गरिमा जैन कहती हैं, “मेरे लिए, स्क्रीन पर मिलने वाला स्पेस मायने नहीं रखता। जरूरी यह है कि मैं जो किरदार निभा रही हूँ उसका प्रभाव कितना गहरा है। मैंने हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने और एक स्थायी छाप छोड़ने पर ज़ोर दिया है। हर अवसर, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो, वह मेरे लिए अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने और दर्शकों से जुड़ने का मौका है।”
‘ना उम्र की सीमा हो’ शो में साक्षी के किरदार में गरिमा जैन दर्शकों को प्रभावित कर रही हैं। वह शो में एक ग्रे शेड किरदार निभा रही हैं जो शो में देव और विधि के बीच दरार पैदा करने के लिए आई हैं जैसा कि जय ने उन्हें निर्देश दिया है। शो में अपने प्रदर्शन से गरिमा अपने दर्शकों के नजरिए को बदल दिया है, जिन्होंने उन्हें नेक्स्ट डोर गर्ल की भूमिकाओं में टाइपकास्ट किया था। हालाँकि, ‘साक्षी’ के रूप में उनकी भूमिका में गहराई और प्रामाणिकता लाने की उनकी क्षमता ने उन्हें शो में एक उत्कृष्ट कलाकार साबित किया है और अपनी बहुमुखी प्रतिभा से उन्होंने दर्शकों के दिलों पर कब्जा कर लिया है।
क्या साक्षी देव और विधि के बीच गलतफहमी पैदा करने की अपनी योजना में सफल होगी? यह जानने के लिए देखिए ‘ना उम्र की सीमा हो’, हर सोमवार-शुक्रवार, रात 8:00 बजे, केवल स्टार भारत पर।
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