ऋषि तिवारी
गौरतलब है कि साल 2024 में केंद्र सरकार के चौथे सरस आजीविका मेला का शुभारंभ 16 फरवरी को हुआ था, जो 4 मार्च तक प्रतिदिन सुबह 11 बजे से रात 9:30 बजे तक चला था। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) द्वारा आयोजित सरस आजीविका मेला में ग्रामीण भारत की शिल्प कलाओं का मुख्य रूप से प्रदर्शन किया गया था।
बीते वर्ष 2024 सरस मेले में 14 करोड़ का व्यापार अगर बीते साल के सरस मेले के बिजनेस आंकड़ों पर नजर डालें तो 2021 में 3.83 करोड़, 2022 में 5.3 करोड़, 2023 में 9.21 करोड़ और 2024 में 14 करोड़ का व्यापार हुआ था। इस मेले का उद्देश्य न केवल लोकल उत्पादों को बढ़ावा देना है, बल्कि देशभर में ग्रामीण महिला उद्यमियों को एक मंच प्रदान करना है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो और वे निर्यात क्षमता में वृद्धि कर सकें।
मेले में नोएडा हाट में करीब 28 राज्यों के 400 से अधिक महिला शिल्प कलाकार मौजूद थीं, जो परंपरा, हस्तकला एवं ग्रामीण संस्कृति तथा स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी थीं। इसके साथ ही 85 से ज्यादा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए थे।
पंचायती राज संस्थान एनआईआरडीपीआर के सहायक निदेशक चिरंजीलाल कटारिया ने बताया कि सरस आजीविका मेला सशक्त महिला-समर्थ भारत की पहचान बन रहा है। मेले के सफल आयोजन में जहां सभी राज्यों की दीदियां अपनी हस्तकला का बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं, वहीं इस सफल आयोजन में ऐसी भी सख्सियत हैं, जो पर्दे के पीछे से पुरजोर सराहनीय प्रयासों में जुटी हैं।